उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘अब्बाजान’ वाले बयान पर जहां लगातार सियासत जारी है। ‘अब्बाजान’ का सियासी बयान कोर्ट पहुंच गया है। योगी आदित्यनाथ के खिलाफ बिहार के मुजफ्फरपुर में परिवाद दायर किया गया है। मुजफ्फरपुर के समाजिक कार्यकर्ता तमन्ना हाशमी ने सीजेएम कोर्ट में परिवाद दाखिल कराया है, जिसमे यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ को आरोपी बनाया है। यह मामला न्यायालय द्वारा स्वीकार किया जाएगा या नहीं इसके लिए सुनवाई की तिथि 21 सितंबर तय की गई है। बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के अहियापुर थाना क्षेत्र के भीखनपुर निवासी तमन्ना हाशमी ने उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ पर एक समुदाय के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने का आरोप लगाया है। सोमवार को सीजेएम कोर्ट में परिवाद दर्ज करवाते हुए आरोप लगाया कि उनके बयान से समुदाय के लोग अपमानित महसूस कर रहे हैं।
याचिका में कहा गया है कि उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना करते हुए सीएम योगी ने एक जाति विशेष को लक्ष्य किया है। पूर्व की सरकार में अब्बाजान कहने वाले लोग गरीबों का राशन हजम कर लेते थे लेकिन अब उनके राज्य में यह बंद हो गया है। इसी को लेकर तमन्ना हाशमी ने परिवाद दायर किया है। उनका कहना है कि सूबे के एक बड़े संवैधानिक पद पर बैठे सीएम का यह बयान देश को तोड़ने वाला है। तमन्ना हाशमी ने अपनी याचिका में उत्तर प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों की तुलना करते हुए योगी ने एक धर्म विशेष के खिलाफ आपत्तिजनक बयान दिया है। कोर्ट में यूपी के सीएम के खिलाफ सीजेएम कोर्ट में धारा 295,295 (क) 296, और 511 के तहत परिवाद दर्ज कराया है। मामले की अगली सुनवाई की तिथि कोर्ट ने 21 सितंबर को निर्धारित है।
ये है ‘अब्बाजान’ का मामला
ज्ञात हो कि बीते रविवार को सीएम योगी आदित्यनाथ ने समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव का नाम लिए बिना आरोप लगाया। ‘अब्बाजान’ कहने वाले गरीबों की नौकरी पर डाका डालते थे। पूरा परिवार झोला लेकर वसूली के लिए निकल पड़ता था। अब्बाजान कहने वाले राशन हजम कर जाते थे। राशन नेपाल और बांग्लादेश पहुंच जाता था। आज जो गरीबों का राशन निगलेगा, वह जेल चला जाएगा।