उत्तर प्रदेश में डेंगू(Dengue) और बुखार के डंक से मौतों का सिलसिला इतनी कवायद के बाद भी नहीं थमा। बीमारी से गुरुवार को 4 मासूम समेत 14 और लोगों की मौत हो गईं। अब कुल मृतकों की संख्या 64 पहुंच चुकी है। वहीं डीएम ने लापरवाही बरतने वाले तीन डॉक्टरों को निलंबित कर दिया है। बता दें कि पूरे यूपी में डेंगू व वायरल बुखार का कहर लगातार बढ़ता जा रहा है। केवल फिरोजाबाद जिले में अब तक 75 लोगों की जान जा चुकी है। मथुरा में 17, मैनपुरी में 3, कासगंज में 2 लोग डेंगू और वायरल का शिकार हो चुके हैं। वहीं गोंडा में प्रतिदिन 3 हजार से ज्यादा मरीज संदिग्ध बुखार की चपेट में आ रहे हैं और अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। वहीं कानपुर(Kanpur) में वायरल बुखार के कारण सात दिन में 10 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं।
उधर डीएम चंद्रविजय सिंह(chandravijay singh) ने लापरवाही बरतने पर पीएचसी सैलई के प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. गिरीश श्रीवास्तव, प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. सौरभ प्रकाश(saurabh prakash) और पब्लिक हेल्थ एक्सपर्ट डॉ. रुचि यादव(ruchi yadav) को तत्काल प्रभाव से निलंबित करने के निर्देश दिए।
तेज बुखार के साथ प्लेटलेट्स गिरकर 30 हजार आने और सांस तंत्र फेल होने जैसे लक्षणों को स्वास्थ्य अधिकारी विचित्र बुखार कह रहे हैं। दरअसल यह स्क्रब टाइफस बीमारी है। शहर में इसकी जांच नहीं होती तो इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। दिल्ली में कराई गई जांचों में रोगियों में पुष्टि हो चुकी है, लेकिन अभी तक फिजिशियन पहाड़ी इलाकों बीमारी मानकर अनदेखी कर रहे हैं
जिन लोगों को एक बार डेंगू हो चुका है उन पर दूसरे वैरिएंट की मार ज्यादा पड़ती है। ऐसे लोगों के डेंगू होने पर उनकी जान बचाना मुश्किल होता है। ऐसे मरीजों के उपचार में ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ती है। उनके प्लेटलेट्स सहित अन्य पैरामीटर की निगरानी करते हुए दवाएं दी जाती हैं। पिछले दिनों कई ऐसे मरीज मिले हैं, जिनमें इसके दूसरे वैरिएंट का हमला था।
प्रदेश में डेंगू के मरीजों के मिलने का सिलसिला तेज हो गया है। डेंगू और बुखार से फिरोजाबाद, मैनपुरी, मथुरा ही नहीं दूसरे हिस्से में भी मौत हो रही है। मादा एडीज एजिप्टी मच्छर से होने वाली यह बीमारी प्रदेश के विभिन्न हिस्से में तेजी से बढ़ रही है। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि भारत में डेंगू के चार प्रमुख वैरिएंट पाए जाते हैं।