चीन (China) ने बुधवार को समुद्री यातायात सुरक्षा कानून लागू कर दिया। इसके चलते चीन की समुद्री सीमा में घुसने वाले विदेशी जहाजों को अब अपनी मौजूदगी की सूचना चीनी अधिकारियों को देनी होगी। इसके लिए आवश्यक अनुमति लेनी होगी और अपने बारे में पूरी जानकारियां देनी होंगी। ताइवान (Taiwan) के अखबार ताइपे टाइम्स के अनुसार चीन का यह कदम एक टाइम बम की तरह साबित हो सकता है। क्योंकि इसके चलते दक्षिण चीन सागर से गुजरने वाले विदेशी मालवाहक जहाजों के लिए मुश्किल पैदा हो सकती है। इससे चीन का बाकी देशों से टकराव बढ़ेगा। अगर चीन ने हठधर्मिता दिखाई तो विवाद युद्ध का रूप भी ले सकता है। चीन की संसद नेशनल पीपुल्स कांग्रेस ने अप्रैल में समुद्री सुरक्षा से जुड़े इस कानून में अप्रैल में संशोधन किया था। इसमें समुद्री सीमा के भीतर होने वाली गतिविधियां तय की गई हैं। इसके तहत अगर चीन किसी जहाज को अपने लिए खतरा मानता है तो वह उसके समुद्री सफर पर रोक लगा सकता है या उसके खिलाफ कारवाई कर सकता है।
लेखक केलीग मदजार ( Kayleigh Madjar) के अनुसार चीन अगर दक्षिण चीन सागर में इस कानून को लागू करता है तो वह संयुक्त राष्ट्र के यूएन कन्वेंशन आन द ला आफ द सी का उल्लंघन होगा। उल्लेखनीय है कि अमेरिका और ब्रिटेन के विमानवाहक युद्धपोतों ने हाल के महीनों में दक्षिण चीन सागर की चीन की चेतावनी को दरकिनार करते हुए दौरा किया है। अब अगर फिर ये देश या अन्य कोई अपना युद्धपोत वहां भेजता है तो टकराव की स्थिति बन सकती है। जापान जल सीमा के नजदीक पूर्व चीन सागर को लेकर भी यही स्थिति है। जापान के हिस्से के समुद्र को चीन अपना बताता है और जब तब वहां अपने युद्धपोत भेजता रहता है।