अफगानिस्तान में अमेरिका के पूर्व राजदूत रास विल्सन (Ross Wilson) को इस सप्ताह के शुरुआत में ही काबुल से निकाला गया था। बुधवार को मीडिया रिपोर्ट में विल्सन के कोरोना संक्रमित होने की पुष्टि की गई है। विल्सन में अभी संक्रमण के लक्षण काफी कम हैं। पालिटिको (Politico) ने अपनी इस रिपोर्ट में मामले से अवगत तीन लोगों का हवाला दिया है। राजनयिक विल्सन पिछले कुछ सप्ताह काबुल में मौजूद अमेरिकी नागरिकों और अफगानिस्तान के लोगों की मदद कर रहे थे। विल्सन ने सोमवार को अंतिम अमेरिकी विमान C-17 के जरिए अफगानिस्तान को छोड़ा। उनके साथ यूएस आर्मी मेजर जनरल क्रिस डोनाह्यू (Chris Donahue) भी थे। जून में काबुल स्थित अमरिकी दूतावास में कोविड-19 के 150 से अधिक मामले मिले थे और कोरोना संक्रमण के कारण एक मृत्यु भी हो गई थी।
अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के बाद वहां जो नागरिक बच गए उनके सामने नई मुसीबतों का पहाड़ है। काबुल एयरपोर्ट से निकासी अभियान बंद होने के बाद हजारों अफगान नागरिक सड़क के रास्ते देश छोड़ने की कोशिश में हैं। अफगानिस्तान में अमेरिका समर्थित सरकार का पतन और तालिबान के नियंत्रण के बाद प्रशासनिक शून्यता की स्थिति आ गई है। निकासी अभियान बंद होने के बाद स्थिति और गंभीर हो गई है। अफगानिस्तान में प्रशासनिक व्यवस्था के अभाव में खाद्य वस्तुओं की मनमानी कीमत वसूल की जा रही है। सबसे ज्यादा भीड़ बैंकों में लग रही है। नकदी के संकट के बीच लोग ज्यादा से ज्यादा पैसा निकाल लेना चाहते हैं, लेकिन लोगों को पैसे नहीं मिल रहे। तालिबान के सामने मानवीय संकट से निपटने की बड़ी चुनौती भी है। भीषण सूखा के चलते ग्रामीण क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग शहरों में पलायन कर गए हैं। तालिबान के आने के बाद से कई देशों ने अफगानिस्तान को सहायता पहले ही रोक दी थी। अभी तक कोई सरकार नहीं बनने से मदद करने वाले देशों के सामने यह संकट पैदा हो गया है कि वो बात किससे करें।