सोमवार को पूरे देश में धूमधाम से जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया. जम्मू कश्मीर में भी लोगों ने जन्माष्टमी का त्योहार मनाया. लेकिन इसमें खास बात यह रही कि कभी आतंकवाद का गढ़ माने जाने वाले उत्तरी कश्मीर के हंदवाड़ा में 32 साल के बाद आज जन्माष्टमी का त्योहार मनाया गया. बड़ी संख्या में कश्मीरी पंडित लाल और भगवा झंडे लहराते हुए दिखे. कश्मीरी पंडितों ने जन्माष्टमी मनाने के लिए हंदवाड़ा शहर से मार्च किया. इतना ही नहीं कश्मीर की सड़कों पर पहली बार जन्माष्टमी के मौके पर हिंदू-मुस्लिम भाईचारे की तस्वीर भी देखने को मिली. कश्मीरी पंडितों ने शहर में एक जुलूस निकाला जिसमें मुस्लिम और हिंदू दोनों ने भाग लिया.
हंदवाड़ा सनातन धर्म सभा के सचिव अवतार कृष्ण पंडिता ने बताया कि हंदवाड़ा में जन्माष्टमी का जुलूस पिछली बार 1989 में निकाला गया था. इतने लंबे समय के बाद, हम इसे फिर से करने में कामयाब रहे हैं. उन्होंने इस आयोजन के समर्थन के लिए स्थानीय मुस्लिम आबादी को धन्यवाद दिया. पिछले कुछ वर्षों में कई स्थानीय कश्मीरी पंडित प्रधानमंत्री के पुनर्वास कार्यक्रम के तहत अशांत उत्तरी कश्मीर में लौट आए हैं.
श्रीनगर में भी दो साल के बाद निकला जन्माष्टमी का जुलूस
श्रीनगर में कश्मीरी पंडितों ने दो साल के अंतराल के बाद जन्माष्टमी का जुलूस निकाला. अधिकारियों ने बताया कि कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच जुलूस शहर के हब्बा कदल इलाके के गणपतियार मंदिर से शुरू हुआ और ऐतिहासिक लाल चौक स्थित घंटाघर तक पहुंचा. पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित भक्तों ने रथ के साथ नृत्य किया और लोगों के बीच मिठाई बांटी. उन्होंने कहा कि जुलूस अमीरकदल पुल को पार कर जहांगीर चौक से गुजरा और मंदिर लौट आया. पुरुषों, महिलाओं और बच्चों सहित भक्तों ने रथ के साथ नृत्य किया और लोगों के बीच मिठाई बांटी. श्रद्धालुओं में से एक वरिष्ठ नागरिक ने कहा कि दो साल बाद उन्हें श्रीनगर में जन्माष्टमी का जुलूस निकालने की अनुमति मिली. कोविड-19 के कारण 2020 में कोई जुलूस नहीं निकाला गया था, जबकि अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर के विशेष दर्जे को निरस्त करने के मद्देनजर लगाए गए लॉकडाउन के कारण इस आयोजन को रद्द कर दिया गया था.