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पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने अफगान संकट पर की मंत्रणा, तालिबान पर बनेगी ऐसी रणनीति

अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा होने के बाद दुनिया का सामरिक समीकरण बदल गया है। अफगान संकट का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है। आतंकी खतरे से निपटने के लिए सभी देश परेशान हैं। तालिबान की क्रूरता के सामने सभी देश अपने-अपने नागरिकों की वहां से सुरक्षित वापसी कर रहे हैं। इस बीच भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन से करीब 45 मिनट तक फोन पर बात की। दोनों राष्ट्राध्यक्षों ने अफगानिस्तान की स्थिति पर विस्तृत बातचीत के दौरान अफगानिस्तान और तालिबान की वर्तमान स्थिति पर चर्चा किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर इस चर्चा की जानकारी दी है। उन्होंने कहा कि अफगानिस्तान में हाल के घटनाक्रम पर अपने मित्र राष्ट्रपति पुतिन के साथ विस्तृत और उपयोगी विचारों का आदान-प्रदान किया। हमने द्विपक्षीय एजेंडे के मुद्दों पर भी चर्चा की, जिसमें कोविड-19 के खिलाफ भारत-रूस सहयोग शामिल है। हम महत्वपूर्ण मुद्दों पर करीबी परामर्श जारी रखने पर सहमत हुए।

ज्ञात हो कि इस समय विश्व के सामने तालिबान की सरकार को मान्यता देने या नहीं देने जैसा प्रश्न आ खड़ा हुआ है। तालिबान को हथियार उपलब्ध कराने से समर्थन करने वाले देश उसे सहमत हैं। वहीं आतंक की मार झेल रहे देष आतंक के खिलाफ हैं। कई देशों ने आतंक और तालिबान का खुलकर विरोध किया है। वहीं कुछ देशों ने इसके समर्थन की भी घोषणा की है। बताया यह भी जा रहा है कि तालिबान की चीन और पाकिस्तान के वरिष्ठ मंत्रियों के साथ अलग-अलग बैठक भी हुई है। हाल ही में अफगानिस्तान में तैनात रूसी राजदूत दिमित्री झिरनोव ने तालिबान के आचरण की प्रशंसा की थी। उनके दृष्टिकोण को अच्छा, सकारात्मक और व्यापार जैसा बताया था। उन्होंने कहा था कि कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने पहले 24 घंटों में काबुल को पिछले अधिकारियों की तुलना में अधिक सुरक्षित बना दिया है। उनके इस बयान से तालिबान के प्रति झुकाव के रूप में देखा जा रहा है।

मॉस्को के एको मोस्किवी रेडियो स्टेशन से बात करते हुए जिरनोव ने कहा था कि स्थिति शांतिपूर्ण और अच्छी है और शहर में सब कुछ शांत हो गया है। तालिबान के तहत अब काबुल में स्थिति अशरफ गनी की तुलना में बेहतर है। उनके इस बयान पर दुनिया ने नाराजगी जाहिर की। वहीं अफगानिस्तान पर रूसी राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के विशेष प्रतिनिधि जमीर काबुलोव का कहना था कि काबुल से गनी की भागना शर्मनाक था। उन्होंने देश की जनता को छोड़ कर ठीक नहीं किया।