आतंकवादी समूहों का समर्थन नहीं करने के पाकिस्तान के दावों का सोमवार को एक बार फिर से पर्दाफाश हुआ है. इसी कड़ी में विद्रोही समूह तालिबान के समर्थकों की तरफ से पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) में एक रैली का आयोजन किया गया. जिस जगह पर ये रैली की गई, वहां से कई वीडियो सामने आए हैं जिसमें पाकिस्तान स्थित आतंकी समूहों जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के कैडर रैली में भाग लेते और हवा में गोलियां चलाते हुए दिख रहे हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, अफगानिस्तान में तालिबान की जीत का जश्न पाकिस्तान में मनाया गया. सबसे बड़ी बात ये है कि इस रैली का कोई विरोध नहीं किया गया.
बाद में दोनों संगठनों के नेताओं ने रैलियों को भी संबोधित किया. वहीं कुछ पत्रकारों ने तालिबान नेता मुल्ला बरादर और आईएसआई प्रमुख फैज हमीद की एक साथ नमाज अदा करते हुए तस्वीरें पोस्ट की हैं. पाकिस्तान उन पहले देशों में से एक था जो अमेरिकी सेना की वापसी के मद्देनजर तालिबान की तरफ से अफगानिस्तान पर नियंत्रण करने के समर्थन में सामने आया था.
तालिबान की तारीफ कर रहे पाकिस्तानी छात्र
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और कई पाकिस्तानी मंत्रियों ने विवादास्पद बयान दिया है कि तालिबान बुरे लोग नहीं हैं और इस्लाम के सिद्धांतों के माध्यम से अफगानिस्तान पर शासन करने की कोशिश कर रहे हैं. कुछ दिन पहले पाकिस्तान के एक स्कूल से एक वीडियो सामने आया था, जिसमें छात्र तालिबान की तारीफ करते नजर आ रहे थे.
एक शीर्ष रिपब्लिकन सांसद ने रविवार को आरोप लगाया कि पाकिस्तान और उसकी खुफिया सेवा ने तालिबान को बढ़ावा देने और अंततः उसे अफगानिस्तान पर कब्जा करने की अनुमति देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है. तालिबान ने अफगानिस्तान में 15 अगस्त को सत्ता पर कब्जा कर लिया था. इसके बाद अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी को देश से भागने के लिए मजबूर होना पड़ा.