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गोरखपुर में 76 गांव पानी से घिरे, 43 हजार 412 लोग प्रभावित, खतरे के निशान से ऊपर है नदियों का जलस्तर

उत्तर प्रदेश के गोरखपुर जिले में नदियों के जलस्तर में लगातार वृद्धि होने से 76 गांव बाढ़ के पानी से घिर गए हैं। आपदा प्रबंधन कार्यालय से मिले आंकड़ों के अनुसार बीते शुक्रवार तक बाढ़ से 43 हजार 412 लोग प्रभावित हुए हैं। कुल प्रभावित क्षेत्रफल 4280 हेक्टेयर है। सदर तहसील के 18, सहजनवां के नौ चौरीचौरा का एक, कैंपियरगंज के 12, गोला के 29, बासगांव के दो और खजनी तहसील के पांच गांव बाढ़ से प्रभावित हैं। प्रशासन ने आवागमन के लिए प्रभावित गांवों में कुल 107 नावों को लगाया है। 16 मोटरबोट की मदद से एनडीआरएफ के जवान लगातार यहां निगरानी कर रहे हैं। प्रशासन की तरफ से राहत खाद्य किट उपलब्ध कराए जा रहे हैं।

 

सभी 86 बाढ़ चौकियां क्रियाशील हैं। बाढ़ प्रभावित गांवों में लोगों के उपचार के लिए आठ टीम गठित की गई है। लोगों के बीच क्लोरीन की गोलियां और ओआरएस पैकेट वितरित किए जा रहे हैं। गोर्रा का जलस्तर शुक्रवार को सुबह से शाम तक पांच सेमी बढ़ा है। वह खतरे के निशान से 25 सेमी ऊपर बह रही है। राप्ती का जलस्तर शुक्रवार सुबह आठ बजे से शाम चार बजे तक तीन सेमी बढ़ा। जबकि घाघरा नदी का जलस्तर सुबह से शाम तक पांच सेमी बढ़ा है। यह नदी खतरे के निशान से दो सेमी ऊपर बह रही थी। उधर, दर्जनों गांव बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं। जिन गांवों में आवागमन बाधित हो गया है वहां नाव लगाई गई हैं। बाढ़ खंड 2 के अधिशासी अभियंता रुपेश कुमार खरे ने बताया कि राप्ती नदी का जलस्तर बढ़ने से तटबंधों पर पानी का दबाव बढ़ रहा है। रेनकट और रैट होल भरे जा रहे हैं।

 

बंधों की सतत निगरानी की जा रही है। जिन स्थानों पर नदी कटान कर रही है वहां कटान निरोधक उपाय किए जा रहे हैं। राप्ती और रोहिन नदी में आए उफान के कारण बाढ़ग्रस्त हुए सदर तहसील के गांवों का दौरा जिलाधिकारी विजय किरन आनंद ने किया। कैंपियरगंज, गोला सहित अन्य तहसीलों में बाढ़ग्रस्त गांवों में चल रही मदद और राहत कार्यों का हाल जानने की जिम्मेदारी संबंधित एसडीएम को सौंपी। जिलाधिकारी ने बाढ़ग्रस्त इलाकों में स्वास्थ्य सेवाएं, पशु चिकित्सा व्यवस्था दुरुस्त करने के साथ ही शरणालयों में बिजली आपूर्ति सुनिश्चित कराने का निर्देश दिया।

सीएमओ को निर्देश दिया कि इन इलाकों में स्वास्थ्य टीमें लगातार भ्रमण करें। जिन क्षेत्रों मे शुद्ध पेयजल की आपूर्ति नहीं हो रही वहां टैंकर से पानी की आपूर्ति की जाए। बाढ़ प्रभावित इलाकों में काम करने वाले स्वास्थ्य कर्मी, लेखपाल, राजस्वकर्मी और प्रधान लगातार कंट्रोल रूम के संपर्क में रहें ताकि किसी संसाधन की जरूरत पड़ने पर उसे तुरंत उपलब्ध कराया जा सके। वहीं जिला कृषि अधिकारी को निर्देश दिया कि बाढ़ से खराब हुई फसल के किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से बिना देरी किए बीमा राशि उपलब्ध कराई जाए।

 

बाढ़ प्रभावित ग्रामों के ग्राम विकास अधिकारी, लेखपाल, एएनएम, आशा आदि ग्राम स्तरीय कर्मचारी गांव में ही कैंप करेंगे। अनुपस्थित पाए जाने पर संबंधित के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। जिलाधिकारी ने निर्देश दिया कि बाढ़ प्रभावित गांवों में ऊंचे प्लेटफार्म व ऊंचे स्थल पर हैंडपंप अनिवार्य रूप से स्थापित किया जाए। बताते चलें कि मैदानी इलाके में बारिश थमने के बाद भी रोहिन को छोड़ जिले की बाकी सभी नदियों का जलस्तर बढ़ रहा है। राप्ती शुक्रवार को खतरे के निशान से 77 सेंटीमीटर ऊपर बह रही थी। रोहिन का जलस्तर नीचे आया है फिर भी वह खतरे के निशान 41 सेमी ऊपर बह रही है। घाघरा नदी शुक्रवार शाम को एक बार फिर खतरे का निशान पार कर गई।