केंद्र की मोदी सरकार वित्तीय वर्ष 2021-22 में सरकारी एयरलाइन कम्पनी एयर इंडिया और तेल विपणन दिग्गज भारत पेट्रोलियम का निजीकरण कर सकती है, इसकी जानकारी सार्वजनिक सम्पत्ति प्रबंधन विभाग के सचिव तुहिन कांता पांडे ने दी है। 11 अगस्त को आयोजित भारतीय उद्योग परिसंघ के वार्षिक सत्र में बोलते हुए पांडे ने कहा इस साल हम आखिरकार 17 साल के लम्बे अंतराल के बाद सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण होते देखेंगे।
इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि एलआईसी का आईपीओ, जो कि भारत में सबसे बड़ी आईपीओ हो सकती है, वह भी इस साल भी आएगी। गौरतलब है कि 2021-22 के केंद्रीय बजट में 1.75 लाख करोड़ रुपये का विनिवेश लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अधिकांश निजीकरण और एलआईसी आईपीओ से आने की उम्मीद है। मिली जानकारी के अनुसार एयर इंडिया के लिए 15 सितम्बर तक बोली लग सकती है।
हाल ही में केंद्रीय नागरिक उड्डयन राज्य मंत्री वीके सिंह ने कहा था कि एयर इंडिया की बोली लगाने में रुचि रखने वाली इकाइयों की तरफ से 15 सितम्बर तक वित्तीय बोलियां आ सकती हैं, उन्होंने यह जानकारी लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी थी। वहीं, न्यूज एजेंसी के अनुसार केंद्र सरकार ने 27 जनवरी, 2020 को एयर इंडिया के लिए रुचि-पत्र आमंत्रित किए थे, कोरोना वायरस महामारी के चलते कई बार इसके लिए समय-सीमा बढ़ाई गई। वहीं बीते जून में खबर आयी थी कि वित्त वर्ष 2021-22 से वित्त वर्ष 2023-24 के बीच सरकार तीन और PSU को लेकर विनिवेश की दिशा में आगे बढ़ेगी। इसके लिए IRFC, RVNL और मझगांव डॉक का नाम सामने आ रहा है, इन तीन सरकारी कंपनियों में सरकार अपनी हिस्सेदार घटाकर मिनिमम कर देगी।
वहीं सेबी (SEBI) के नियम के तहत पब्लिक सेक्टर कम्पनियों के लिए मिनिमम पब्लिक शेयर होल्डिंग 25 फीसदी होना जरूरी है। इस समय 19 PSU ऐसी हैं, जहां सरकार के लिए स्कोप बना हुआ है। गौरतलब है कि सरकार ने निजीकरण और विनिवेश की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए 4 फरवरी 2021 को एक नई PSE पॉलिसी को लागू किया था। इसके तहत पब्लिक सेक्टर अंडरटेकिंग्स को स्ट्रैटिजीक और नॉन-स्ट्रैटिजीक कैटिगरी में बांटा गया है।