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अदालत ने कहा-नाबालिग का हाथ पकड़कर प्यार का इजहार करना यौन शोषण नहीं, आरोपी बरी

पोक्सो कोर्ट ने 28 वर्षीय आरोपी को यह कहते हुए रिहा कर दिया कि किसी नाबालिग का हाथ पकड़ना और उससे प्यार का इजहार करना यौन उत्पीड़न नहीं माना जा सकता है। बताते चलें कि प्रोटेक्शन आफ चिल्ड्रेन फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंसेस एक्ट को पोक्सो (POCSO) कहा जाता है। इसके तहत 18 साल से कम आयु के बच्चों के साथ होने वाले यौन शोषण से जुड़े अपराधों की सुनवाई की जाती है। इस एक्ट के तहत बच्चों को सेक्शुअल असॉल्ट, सेक्शुअल हरासमेंट और पॉर्नोग्राफी जैसे अपराध से सुरक्षा दी गई है।

2012 में बने इस कानून के तहत अलग-अलग अपराध के लिए अलग-अलग सजा का प्रावधान है। आरोपी को 2017 में एक 17 साल की लड़की को प्रपोज करने के बाद गिरफ्तार किया गया था। पोक्सो अदालत ने सुनवाई के दौरान कहा कि ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिससे यह साबित हो सके कि आरोपी का इरादा यौन शोषण करने का था। फैसला सुनाते समय कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसे कोई सबूत नहीं, जिससे यह संकेत मिलते हों कि आरोपी ने लगातार पीड़िता का पीछा किया, उसे किसी सूनसान जगह पर रोका या फिर नाबालिग से यौन शोषण के लिए आपराधिक बल का इस्तेमाल किया। खबर के अनुसार जज ने फैसला सुनाते समय कहा कि अभियोजन पक्ष इस बात के सबूत लाने में असफल रहा कि आरोपी ने यौन उत्पीड़न की कोशिश की। इसलिए संदेह का लाभ देते हुए आरोपी को बरी किया जाता है।

गौरतलब है कि यह कोई पहली बार नहीं जब किसी बच्चे के हाथ पकड़ने को कोर्ट ने यौन अपराध मानने से इनकार किया हो। इससे पहले बॉम्बे हाईकोर्ट ने पांच साल की बच्ची से कथित तौर पर छेड़छाड़ के लिए एक 50 वर्षीय शख्स की सजा को पलट दिया था। कोर्ट ने फैसला सुनाते समय कहा था कि पैंट खोलकर एक नाबालिग का हाथ पकड़ना यौन शोषण की परिभाषा में नहीं आता है।