मुख्यमंत्री योगी ने जब से प्रदेश की बागडोर संभाली है, तब से वह सुर्खियों में हैं। समर्थक योगी की खूब तारीफ करते हैं जबकि विपक्षी खूब कोसते हैं। बीते दिनों मीडिया में खबरें चल रही थीं कि मुख्यमंत्री योगी अगला विधानसभा चुनाव अयोध्या से लड़ सकते हैं। इस खबर के बाद गोरखपुर के भाजपा कार्यकर्ता हैरान हैं। समर्थकों का कहना है कि वैसे तो मुख्यमंत्री योगी सूबे की किसी भी सीट से लड़कर चुनाव जीत सकते हैं। लेकिन कोई एक भी वजह तो बताए कि योगी गोरखपुर को क्यों छोड़ दें? उनकी गोरखपुर में जमी जमाई जमीन है। उनके प्रभाव को रेखांकित करने के लिए 2002 का प्रसंग लोगों को याद रखना चाहिए जब योगी ने हिंदू महासभा के उम्मीदवार के तौर पर डॉ. आरएमडी अग्रवाल को भाजपा के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ न केवल उतारा, बल्कि जिताया भी था। सदर विधानसभा से उस सीट पर तब से डॉ आरएमडी अग्रवाल चार बार से विधायक हैं।
योगी के समर्थक बताते हैं कि 2022 में योगी ही भाजपा से मुख्यमंत्री पद का चेहरा होंगे। स्टार प्रचारक के तौर पर अलग-अलग विधानसभा क्षेत्रों में जाकर चुनाव प्रचार करना होगा। अगर गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो खुद की सीट पर प्रचार का कोई दबाव ही नहीं रहेगा। ऐसे में वे अनजानी सीट पर क्यों जोखिम लेना चाहेंगे? मुख्यमंत्री योगी गोरखपुर के एक-एक भाजपा पदाधिकारी व कार्यकर्ता को नाम से जानते हैं। बूथ व मंडल स्तरीय संगठन से सीधा सम्पर्क रखते हैं। समाज के अधिकतर तबके में अच्छी पैठ है।
वहीं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं का कहना है कि मुख्यमंत्री के अयोध्या से चुनाव लड़ने की बात में बहुत दम नहीं है। वह चुनाव जरूर लड़ेंगे, लेकिन गोरखपुर छोड़ देंगे, इसमें बहुत सच्चाई नहीं है। जितनी भी बैठकें होती हैं उसमें योगी आदित्यनाथ गोरखपुर की बात करते हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की एक बैठक में कुछ ऐसा ही मामला सामने आया था। तब भी मुख्यमंत्री ने कहा था हम तो गोरखपुर जाकर मठ में रम जाएंगे। गोरखपुर से ही सब कुछ मिला है। इस तर्क में क्या संकेत हैं, सहज ही कोई समझ सकता है।
गोरखपुर क्षेत्र से विधानसभा की 62 सीटें जुड़ी हैं। गोरखपुर, बस्ती और आजमगढ़ मंडल के 10 जिलों की इन सीटों पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का अच्छा प्रभाव है। वह गोरखपुर से चुनाव लड़ेंगे तो मतदाताओं में अच्छा संदेश जाएगा। राजनीति के जानकारों का कहना है कि मुख्यमंत्री गोरखपुर से चुनाव लड़े तो हर सीट पर भाजपा प्रत्याशी को फायदा मिलेगा। इन जिलों के मतदाता गोरक्षपीठ में गहरी आस्था रखते हैं। गोरक्षपीठाधीश्वर व मुख्यमंत्री को सुनना, जानना व उनका अनुसरण करने को इच्छुक रहते हैं।