अपने जीवन मेें हर लड़की का उम्र के साथ एक सपना होता है कि उसके लिए एक राजकुमार आयेगा और शादी करके उसे ले जाएगा। यह तो आप भी जानते हैं कि लड़कियों कि जब तक शादी नहीं होती तब तक वह लड़कियं कहलाती हैं लेकिन शादी के बाद वह महिलाएं बन जाती है। ऐसा हर लड़की के साथ होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारे भारत में ऐसी महिलाएं भी हैं जो शादी के बाद भी महिलाएं नहीं बल्कि कुुंवारी लड़कियां मे इनकी गिनती होती हैं जी हां सुनकर तो आपके भी कान खड़े हो गये होंगे लेकिन यह बात बिलकुल सच है। आज हम आपसे इन्ही महिलाओं के बारे में चर्चा करने वाले हैं जो शादी के बाद भी अब तक कुंवारी लड़कियां कि गिनती में आती हैं तो चलिए जानते हैं कौन सी वे महिलाएं हैं?
अहिल्या- पद्मपुराण के अनुसार ऋषि गौतम की पत्नी अहिल्या को कुंवारी समझा जाता है। एक बार देवराज इंद्र की नजर देवी अहिल्या पर पड़ी और वे उन पर मोहित हो गए। जब गौतम ऋषि स्नान और पूजन करने के लिए घर से गए तो इंद्र उनका रूप लेकर वहां पहुंच गए और मौके का फायदा उठाकर अहिल्या से संबंध बनाए लेकिन ऋषि ने इन्हें गलत समझ श्राप दे दिया। पति के प्रति पूरी निष्ठावान होने पर भी उन्होंने श्राप को स्वीकार कर लिया, जिसके कारण उन्हें कौमार्या माना गया है।
मंदोदरी- मंदोदरी की बुद्धिमानता और सुंदरता देखकर रावण ने उनसे विवाह किया था। रावण की मौत के बाद श्रीराम के कहने पर विभीषण ने मंदोदरी को आश्रय दिया। मंदोदरी के गुण के कारण उन्हें महान माना गया है और उनकी पवित्रता कन्याओं की तरह मानी गयी है।
द्रौपदी- पांच पतियों की पत्नी होने पर भी द्रौपदी का व्यक्तित्व काफी मजबूत था लेकिन इसके बावजूद उन्हें कुंवारी कन्याओं की श्रेणी में माना जाता है। जीवनभर द्रौपदी ने पांचों पांडवों का हर परिस्थिति में साथ दिया और कभी किसी एक पति के साथ रहने की जिद्द नहीं की। अपने कर्तव्यों का पालन ईमानदारी से निभाने वाली द्रौपदी का स्मरण धर्म ग्रंथों में महापाप को नाश करने वाला माना गया है।
कुंती- हस्तिनापुर के राजा पांडु की पत्नी कुंती ने शादी से पहले ऋषि दुर्वासा के मंत्र से सूर्य का ध्यान करके पुत्र की प्राप्ती की। शादी के बाद पांडु की मौत के बाद कुंती ने वंश खत्म न हो जाए इसलिए उसी मंत्र का दोबारा इस्तेमाल करके अलग-अलग देवताओं से संतान प्राप्ती की, जिसके कारण उन्हें कौमार्या माना गया है।