‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है…’ हमने देखी है इन आंखों की महकती खूश्बू… ये पंक्तियों जीवन में आंखों की महत्ता को बता रही हैं। वर्कफ्रॉम होम के कारण लोग लंबे समय तक मोबाइल और लैपटॉप पर चिपके रहते हैं। मोबाइल, लैपटाॅप ने कई बच्चों की आंखों का बुरा हाल कर दिया है । कंप्यूटर स्क्रीन और मोबाइल से अपनी आंखों की रक्षा करना बहुत जरूरी है। कंप्यूटर, लैपटॉप या फिर मोबाइल से निकलने वाली ब्लू रेज के कारण आंखों में सूखापन आ रहा है। मोबाइल, लैपटॉप का उपयोग करते समय कुछ उपाय, सावधानी जरूरी है जिससे आंखों के सूखापन से बचाया जा सके।
आंखों की पलक झपकाएं
स्मार्टफोन, टेबलेट का प्रयोग करते समय लोग पलख झपकाना भूल जाते हैं। स्क्रीन को एकटक लगातार देखते रहने से ड्रायनेस बढ़ जाती है। इसलिए आंखों को बीच-बीच में झपकाते रहें और आराम देते रहें। आंखों पर पड़ने वाले तनाव के लिए फिर चाहे वो कंप्यूटर, मोबाइल के कारण ही क्यों न हो। आंखों में चिकनाई रखने के लिए आर्टिफिशियल टीयर्स एक प्रभावी तरीका है। बाजार में कई प्रकार के लुब्रिकेटिंग आई ड्रॉप उपलब्ध हैं, जिन्हें आप आंखों में डालकर ड्रायनेस से छुटकारा पा सकते हैं। अगर देर तक कंप्यूटर स्क्रीन या मोबाइल के सामने बैठे रहना आपकी मजबूरी है तो ऐसे लैंस लगाएं, जिनमें से ब्लू रेज कट कर सकें। इसके लिए एंटी ग्लेयर ग्लास या ब्लू कट लैंस अच्छा विकल्प है।
आंखें बहुत नाजुक होती हैं। आंखें भी थकती हैं, इन्हें भी आराम की जरूरत होती हैं बहुत देर तक किसी भी चीज को देखने पर इनमें दर्द हो सकता है। ऐसे में 20-20-20 नियम का पालन करें। यदि आप स्क्रीन को 20 मिनट तक देखते हैं तो थोड़ी देर बाद आपको 20 सेकंड के लिए कम से कम 20 फीट दूर ऐसी चीज देखनी चाहिए जिससे आंखों की मांसपेशियां रिलेक्स्ड हों। अब जब आप अपना ज्यादातर समय कंप्यूटर या मोबाइल स्क्रीन पर बिता रहे हैं तो अपने आहार में विटामिन्स मुख्य तौर पर शामिल करें। विटामिन बी-6, बी-12, विटामिन ई , विटामिन ए टियर फिल्म के लिए अच्छे हैं। शरीर में इन विटामिन्स की कमी होने पर द्रव फट जाएगा और आंसू सूखने लगती हैं। ओमेगा-3 फैटी एसिड सूखी आंखों के इलाज में मदद कर सकता है।
कम रोशनी वाले कमरे में बैठें
कंप्यूटर पर काम करते समय कमरे में कम रोशनी वास्तव में आपकी आंखों के लिए बेहतर होती है। कमरे में बहुत ज्यादा लाइट नहीं होनी चाहिए। इसलिए संभव हो तो कमरे के पर्दे बंद कर दें । फ्लोरोसेंट लाइटिंग का उपयोग कम से कम करें। इसकी जगह कम वोल्टेज वाले बल्बों का इस्तेमाल करना अच्छा है।