चीन धीरे-धीरे हिंद महासागर पर अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिशों में लगा हुआ है. इसका एक और उदाहरण है केन्या में लामू बंदरगाह जहां पर हाल ही में केन्या की तरफ से कई बड़े इनफ्रास्ट्रक्क्चर प्रोजेक्ट्स को लॉन्च किया गया है. ये बंदरगाह लामू, साउथ सूडान और इथियोपिया के बीच एक बड़ा महत्वकांक्षी ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर है. लामू, केन्या के उत्तरी हिस्से में आने वाले मोंबासा में है. इस प्रोजेक्ट को केन्या का गेमचेंर प्रोजेक्ट करार दिया जा रहा है.
23 बिलियन डॉलर वाला प्रोजेक्ट
बंदरगाह 23 बिलियन डॉलर की लागत वाले लामू पोर्ट साउथ सूडान-इथियोपिया ट्रांसपोर्ट (LAPSSET) कॉरिडोर में है. इसका निर्माण चाइना कम्युनिकेश्न कंस्ट्रक्शन कंपनी कर रही है. इसमें 32 लंगर तैयार करने की योजना है हिसमें से पहले तीन की लागत करीब 367 मिलियन डॉलर बताई जा रही है. इस ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर के तहत रेलवे लाइन, एक ऑयल पाइपलाइन और रिफाइनरी, रोड नेटवर्क, आईसियोलो में इंटरनेशनल एयरपोर्ट्स के साथ ही कई और अहम प्रोजेक्ट्स होंगे. जिस समय इस प्रोजेक्ट की योजना बनाई गई थी, उस समय लामू बंदरगाह को पूर्वी अफ्रीका से जोड़ने की रणनीति को दिमाग में रखा गया था.
और ताकतवर होगा चीन
लामू बंदरगाह ऐसे समय में तैयार हो रहा है जब चीन का बेल्ट एंड रोड इनीशिएटिव (BRI) कई तरह की आलोचनाओं में घिरा हुआ है. अफ्रीका का सब-सहारा क्षे. चीन के बीआरआई प्रोजेक्ट के लिए काफी महत्वपूर्ण है. इसके अलावा अफ्रीकी बंदरगाहों पर चीन के निवेश और चीन के मैरिटाइम सिल्क रोड प्रोजेक्ट के लिए भी यह बहुत महत्वपूर्ण प्रोजेक्ट बन गया है. जो बात सबसे ज्यादा चिंताजनक है, उसके तहत लामू में चीन के निवेश के बाद न सिर्फ केन्या पर इस देश की पकड़ मजबूत होगी बल्कि चीन की नौसेना भी ताकवर हो जाएगी. चीन इस बंदरगाह का निर्माण भी बतौर डेवलपमेंट पार्टनर कर रहा है लेकिन उसकी नजरें हिंद महासागर पर लगी हुई हैं.
हिंद महासागर पर बढ़ते चीन के कदम
लामू बंदरगाह के साथ चीन हिंद महासागर के एक और पोर्ट पर कब्जा कर लेगा. चीन पहले ही हिंद महासागर पर तेजी से सक्रिय है. अब क्षेत्री ताकतों के साथ मिलकर वह एक सुरक्षित मिलिट्री बेस तैयार करने में लग गया है ताकि पूरे क्षेत्र पर उसकी गतिविधियों में कोई मुश्किल न आए. लामू बंदरगाह के बाद चीन जब चाहेगा तब हिंद महासागर पर अपनी गतिविधियों को बढ़ाता रहेगा. यह बंदरगाह उसकी बढ़ती ताकत का भी सुबूत है.
इंडियन नेवी का अधिकार क्षेत्र
पूर्वी एशिया के समंदर में चीन पहले ही एक ताकतवर देश बन चुका है. अब हिंद महासागर पर में बढ़ती उसकी गतिविधियां भारत को परेशान करने वाली हैं. चीन एक पैटर्न पर अपनी रणनीति को आगे बढ़ा रहा है. वह यहां के देशों की मदद करके अपनी ताकत में इजाफा करने लगा है. हिंद महासागर चीन के लिए काफी अहम है क्योंकि अब यह क्षेत्र उसके लिए व्यापार और ऊर्जा की जरूरतों को पूरा करने का जरिया बन गया है. चीन के अलावा भारत समेत कुछ और देश भी यहां से व्यापार करते हैं. हिंद महासागर इंडियन नेवी के अधिकार क्षेत्र में आता है. किसी भी प्राकृतिक या फिर मानव जनित आपदा के समय सबसे पहले इंडियन नेवी ही सक्रिय होती है. जहां भारत और फ्रांस हिंद महासागर पर अहम खिलाड़ी हैं तो अब यूनाइटेड किंगडम भी यहां पर सक्रिय हो गया है.