बोकारो से बरामद किए गए यूरेनियम जैसे पदार्थ मामले में अब नया मोड़ आ गया है. बोकारो पुलिस ने बीते 2 जून को 7 लोगों की यूरेनियम तस्करी मामले में गिरफ्तारी की थी, उस बारे में शनिवार को पुलिस ने जानकारी दी है. एसपी चंदन कुमार झा ने कहा है कि यूसीआइएल द्वारा भारत सरकार के गृह मंत्रालय को सौंपी गई रिपोर्ट के अनुसार बोकारो में बरामद पदार्थ यूरेनियम नहीं है. जबकि यूरेनियम की खरीद फरोख्त की सूचना पर दीपक महतो, कृष्णकांत राणा, पंकज कुमार, महावीर महतो, हरेराम शर्मा, बापी चंद्रा और विनोद सिंह को गिरफ्तार किया गया था. उनके पास से बरामद 6.4 किलो पदार्थ को आरोपियों ने रेडियो एक्टिव यूरेनियम बताया था. इस आधार पर केस दर्ज कर उन्हें जेल भेज कर अनुसंधान चल रहा है, जो आगे भी जारी रहेगा.
मामले में परमाणु ऊर्जा विभाग ने भी यह स्पष्ट कर दिया कि कुछ दिन पहले बोकारो पुलिस द्वारा बरामद किया गया 6 किलो पदार्थ यूरेनियम नहीं है. उक्त सामग्री जीवित प्राणियों या पर्यावरण के लिए किसी भी विकिरण संबंधी स्वास्थ्य खतरे का कारण नहीं बनती है. आरोपियों के पास से बरामद सामग्री का मोनोग्राम यूरीनयम का था और उस पैकेट पर मेड इन यूएसए लिखा हुआ था. पुलिस ने उसे यूरेनियम मानते हुए सातों आरोपियों के खिलाफ परमाणु ऊर्जा एक्ट में मामला दर्ज किया था. इसी क्रम में जब्त किये गए संदिग्ध यूरेनियम के नमूने को, जांच के लिए यूरेनियम कॉर्पोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड ( यूसीआईएल) के एक्सपर्ट कुछ दिन पहले बोकारो आकर जांच के लिये ले गये थे.
कोर्ट से अनुमति मिलने के बाद बोकारो पुलिस ने बाहर से आई विशेषज्ञों की एक टीम को सैंपल सौप दिया था. उस वक़्त विशेषज्ञों ने प्रारंभिक जाँच में जब्त किए गए यूरेनियम के नमूने का रेडिएशन परीक्षण भी किया था. उक्त सामग्री में यूरेनियम जैसा कोई भी रेडिएशन नहीं पाया गया था. परमाणु ऊर्जा विभाग द्वारा जारी किए गए प्रेस विज्ञप्ति में यह साफ बताया गया है कि जब्त किया हुआ पदार्थ यूरेनियम नहीं है. हालांकि परमाणु ऊर्जा विभाग ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि वह पदार्थ क्या है. अब पुलिस अपना अनुसन्धान यह पता लगाने के लिए जारी रखेगी की किस मकसद से और किस नेटवर्क ने इस तरह उक्त सामग्री को यूरेनियम बता मार्किट में उतारा है. यूरेनियम जैसे रेडियोएक्टिव सामग्री का किसी भी तरह का झूठा या सच्चा व्यापार गैरकानूनी है. पुलिस किसी भी हालत में इसके तह तक जाएगी.