सूर्य पर होने वाली रहस्यमयी गतिविधियां हमेशा चिंता का सबब बनी रही हैं। खगोल भौतिकविद कह रहे हैं कि हर 11 साल में उठने वाले सौर तूफानों का चक्र किसी भी दिन शुरू हो सकता है, जिससे निकलने वाली ऊर्जा हमारे संचार तंत्र से लेकर अंतरिक्ष यात्रियों और स्पेस्क्राफ्टों को खतरे में डाल सकती है। कुछ खगोलविदों के मुताबिक, इस बार सूर्य विध्वंसक तूफानों और सनस्पॉट का रिकॉर्ड बना सकता है। वहीं, कुछ जानकार इनमें थोड़ी कमी की उम्मीद भी जता रहे हैं। पूर्व में हुआ अध्ययन बताता है कि सौर तूफान के सीधे टकराने से धरती पर दो खरब डॉलर का नुकसान हो सकता है। इससे पावर ग्रिड और सैटेलाइट बंद हो सकते हैं। इंटरनेट से लेकर एटीएम मशीनें थम सकती हैं। घरों में बिजली-पानी का संकट पनप सकता है।
आठ मिनट में धरती पर पहुंचते हैं न्यूट्रिनो
सूर्य नियमित रूप से यह काम करते रहा है। कुछ समय पहले इटली में हुए एक प्रयोग में पता लगा था कि बीते एक लाख वर्षों में सूर्य के ऊर्जा उत्पादन में तब्दीली नहीं आई है। शोधकर्ताओं ने जाना कि सूर्य पर परमाण्विक क्रियाओं से पैदा होने वाले उप परमाण्विक कण न्यूट्रिनो आठ मिनट में धरती तक पहुंच जाते हैं।
पिछली बार दिखे थे 101 सनस्पॉट
खगोलविदों का कहना है, सूर्य पर हर 11 साल में आने वाले इस रहस्यमयी सनस्पॉट (सूर्य पर धब्बे) चक्र के चरम बिंदु पर विध्वंसक सौर तूफान आने की ज्यादा संभावना रहती है। इस बार यह चरम स्थिति 2025 में बन सकती है।
पिछले साल नासा के वैज्ञानिकों की एक समिति और नेशनल ओशनिक एंड एटमॉस्फेरिक एडमिनिस्ट्रेशन ने इस दौरान 115 सनस्पॉट की संभावना जताई है। हालांकि यह संख्या ऐतिहासिक औसत (160-240) से कम थी। पिछले चक्र के दौरान चरम 2014 में आया था, तब सूर्य पर 101 सनस्पॉट दिखे थे।
कोरोनल मास इजेक्शन है विध्वंस की वजह
सूर्य पर विस्फोटक सौर लपटें लाखों हाइड्रोजन बमों से कहीं ज्यादा शक्तिशाली हो सकती हैं। कभी-कभी ये लपटें सूर्य की बाहरी सतह के पूरे हिस्सों को अंतरिक्ष में धकेल देती हैं, जिसे कोरोनल मास इजेक्शन कहा जाता है।