एक ताजा शोध में पता चला है कि फंगस और बैक्टीरिया सिर व गर्दन के कैंसर का खतरा पैदा कर सकते हैं। यह अध्ययन कैंडिडा अल्बिकंस फंगस और स्टैफिलोकोकस ऑरियस बैक्टीरिया को लेकर किया गया है। ब्राजील में साओ पाउलो स्टेट यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता समूह ने इस फंगस, बैक्टीरिया से शरीर में जीन व्यवहार और कैंसर कोशिकाओं का अस्तित्व प्रभावित होने का विस्तृत विश्लेषण किया। इसमें सामने आया कि ये किस तरह सिर और गर्दन से जुड़े कैंसर जीन सक्रिय कर देते हैं।
इस शोध के नतीजों में सूक्ष्मजीव बायोफिल्म्स और सिर, गर्दन में कैंसर कोशिकाओं के व्यवहार के जुड़ाव को लेकर बिलकुल नई जानकारी उजागर हुई है। शोधकर्ताओं ने पता लगाया कि बायोफिल्म्स (कई सूक्ष्मजीवों का संग्रहण) से स्रावित मेटाबॉलाइट (मेटाबॉलिज्म के लिए जरूरी पदार्थ) कैंसर कोशिकाओं की वृद्धि और अस्तित्व से जुड़े प्रोटो-ऑन्कोजीन व कोशिका चक्त्रस् जीनों के व्यवहार में बदलाव कर सकते हैं।
दो संकेतन मार्गों पर आधारित विश्लेषण
जीन व्यवहार पर यह विश्लेषण दो संकेतन मार्गों – ईजीएफआर/आरएएस/आरएएफ/एमईके/ईआरके और ईजीएफआर/पीआई3के/एकेटी/एमटीओआर पर केंद्रित है। ये मार्ग कैंसर कोशिकाओं के प्रसार, विभेदन और अस्तित्व में अहम भूमिका निभाते हैं। इन मार्गों में जीन व्यवहार में परिवर्तन कई प्रकार के कैंसर में प्रचलित है। शोधकर्ताओं ने सिर, गर्दन और मुंह में स्क्वैमस कोशिकाओं का विश्लेषण किया था। उन्होंने इन कोशिकाओं को फंगस और बैक्टीरिया के बायोफिल्म्स से लिए मेटाबोलाइट से उत्तेजित किया था।
कई प्रमुख जीन और कोशिकाओं को खतरा
फ्रंटियर्स इन सेलुलर एंड इंफेक्शन माइक्त्रसेबायोलॉजी पत्रिका में प्रकाशित शोध रिपोर्ट के मुताबिक, अल्बिकन्स फंगस और ऑरियस बैक्टीरिया बायोफिल्म्स के मेटाबोलाइट सामान्य व नियोप्लास्टिक ओरल एपिथेलियल कोशिकाओं की होमोस्टेसिस (समस्थिति) को खतरे में डाल सकते हैं। सीडीकेएन1ए, बीसीएल-2, पीआई3के, बीआरएएफ, एचआरएएस और एमटीओआर जैसे महत्वपूर्ण जीनों के व्यवहार को बदल सकते हैं। साथ ही कोशिकाओं के अस्तित्व और कोशिका चक्त्रस् प्रोफाइल को बाधित कर सकते हैं।
कोशिका चक्र को समझना अहम
शोधकर्ताओं के मुताबिक, कोशिका चक्र को समझना अहम है क्योंकि कैंसर अनियंत्रित कोशिका विभाजन और वृद्धि पर जोर देता है। कैंसर कोशिकाएं पूरे शरीर में ऊतकों और अंगों में घुसपैठ कर देती हैं। अध्ययन के सहलेखक और प्रोफेसर पाउला अबाउद बारबुग्ली का कहना है कि यह नतीजे दर्शाते हैं कि बायोफिल्म्स में इन सूक्ष्मजीवों द्वारा स्रावित अणु प्राथमिक संक्त्रस्मण स्थल से दूर भी होस्ट कोशिकाओं की गतिविधियों में बदलाव कर सकते हैं।