पंचायत चुनाव में खिंचने वाली जाति धर्म की मजहबी दीवारों को तोड़ते हुए मवई ब्लॉक की रजनपुर ग्राम पंचायत ने नया इतिहास रचा है। गांव की जनता ने प्रलोभन, जाति-पात के हथकंडे को नकारते हुए प्रत्याशी का व्यवहार, कर्मठता तथा ईमानदारी को पैमाना माना। मजहब की जंजीरों को तोड़ते हुए अजीमुद्दीन खां को अपने ग्राम पंचायत का प्रधान चुनकर गांव में सांप्रदायिक सौहार्द की एक अनोखी मिसाल कायम की जिसकी पूरे इलाके में चर्चा हो रही है।
रजनपुर गांव में महज एक परिवार मुस्लिम है और बाकी सभी घर हिंदू है। हिंदुओं ने शिक्षित मुस्लिम को अपना मुखिया बनाकर जातिवाद की राजनीति को करारा तमाचा मारा है। पंचायत चुनाव में यहां पर आठ उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमाने उतरे थे। कुल वोटर 860 है। इनमें से 191 मत पाकर हाजी अजीमुद्दीन खां प्रधान बने हैं। वह परास्तानक शिक्षित हैं। अपने कार्य व्यवहार से उन्होंने हिंदू मतदाताओं का न केवल मत प्राप्त किया बल्कि उनका दिल भी जीता।
25 वर्ष पहले पिता को बनाया था प्रधान
25 वर्ष पहले मतदाताओं ने उनके पिता सलाउद्द्दीन खां को प्रधान बनाया था। तब से सीट आरक्षित थी। इस बार सीट अनारक्षित हुई तो वह लड़े और जीते। हाजी अलाउद्दीन खां बताते हैं कि उनकी जीत के बाद हिंदू भाइयों के साथ सुंदरकांड का पाठ हुआ। मंदिरों में प्रसाद वितरित किया गया। वह कहते हैं कि गांव में हिंदू-मुस्लिम नहीं, बल्कि एक परिवार की तरह रहने के कारण लोगों ने भरोसा किया। हम सभी के शुक्रगुजार हैं। भरोसे पर खरा उतरने का भरसक प्रयास करेंगे। विकास को पहली प्राथमिकता बताया।