स्वर्ग और नर्क वास्तव में होता है या नहीं, इसके बारे में तो हम सब नहीं जानते, लेकिन इसको लेकर तमाम कहानियां आप सभी ने बचपन में जरूर सुनी होंगी. ज्यादातर घर के बड़े बुजुर्ग बच्चों को सही राह दिखाने के लिए स्वर्ग और नर्क की कहानियां सुनाते थे और बताते थे कि अच्छे कर्म करने वालों को स्वर्ग मिलता है और बुरे कर्म करने वालों को नर्क की यातनाएं भोगनी पड़ती हैं. लेकिन वास्तव में स्वर्ग और नर्क किसी ने नहीं देखा, इसलिए ये कहानियां भी कहीं न कहीं लोगों के मन में एक भ्रम पैदा करती हैं.
हालांकि इस मामले में ज्योतिषाचार्य डॉ. अरबिंद मिश्र का कहना है कि हमारा शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है, जो कि नाशवान है. जबकि आत्मा अजर और अमर होती है. शरीर के नष्ट होने के बाद भी आत्मा का सफर जारी रहता है. जब किसी की मौत होती है तो उसकी आत्मा शरीर से निकल जाती है. इसके बाद आत्मा का क्या होता है, इसके बारे में गरुड़ पुराण में काफी कुछ कहा गया है. जानिए इन बातों के बारे में-
शुरुआत में 13 दिनों के लिए यमलोक जाती है आत्मा
गरुण पुराण के अनुसार मौत के बाद यमलोक से दो यमदूत आत्मा को ले जाने के लिए आते हैं और वे सिर्फ 24 घंटों के लिए आत्मा को अपने साथ लेकर जाते हैं. इन 24 घंटों में मृतक के परिजन उसके शरीर का दाह संस्कार और अन्य कर्म करते हैं. तब तक आत्मा को यमलोक में व्यक्ति के द्वारा किए गए अच्छे और बुरे कर्मों को दिखाया जाता है. इसके बाद यमदूत आत्मा को वापस उसके घर पर छोड़ जाते हैं.
कर्मों के हिसाब से होता है उसके लोक का निर्धारण
13 दिनों तक आत्मा अपने ही घर में रहती है. जब मृत्यु के बाद 13 दिन की रस्में पूरी हो जाती हैं, इसके बाद आत्मा को फिर से यमलोक ले जाया जाता है. रास्ते में तीन अलग-अलग लोकों के मार्ग होते हैं. पहला मार्ग देवलोक का होता है, दूसरा पितृलोक का और तीसरा मार्ग नर्क का होता है. व्यक्ति के कर्मों के हिसाब से उसके लोक का निर्धारण किया जाता है और उसे उसके लिए सुनिश्चित मार्ग की ओर भेज दिया जाता है.