यूपी सरकार के धर्मांतरण अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई हुई. कोर्ट ने अध्यादेश को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई टाल दी है. याचिकाकर्ता की तरफ से अगली सुनवाई पर नई अर्जी दी जाएगी. बता दें विधानमंडल के दोनों सदनों से बिल पास होने के बाद ये अध्यादेश कानून बनने जा रहा है. नई अर्जी में अध्यादेश के बजाय अब कानून को चुनौती दिए जाने की तैयारी है. मामले की अगली सुनवाई छह अप्रैल को होगी.
अध्यादेश के खिलाफ बदायूं के वकील सौरभ कुमार समेत पांच याचिकाएं दाखिल की गई हैं. याचिकाओं में सियासी फायदे के लिए अध्यादेश लाने का आरोप लगाया गया है. ये भी आरोप है कि अध्यादेश के जरिए एक वर्ग विशेष को निशाना बनाया जा रहा है. वहीं मामले में राज्य सरकार ने धर्मांतरण अध्यादेश को कानून व्यवस्था के लिए जरूरी बताया है. चीफ जस्टिस गोविंद माथुर और जस्टिस सौरभ श्याम शमशेरी की डिवीजन बेंच में इस पर सुनवाई हुई.
कानून बन चुका है अध्यादेश
बता दें लव जिहाद को लेकर यूपी में लाया गया धर्मांतरण बिल विधानसभा और विधान परिषद में पास होने के बाद बिल को गवर्नर ने भी मंजूरी दी है. नए कानून का नोटिफिकेशन भी राज्य सरकार ने जारी कर दिया है. 4 मार्च को राजभवन से इसे मंजूरी मिली थी. 5 मार्च को गजट नोटिफिकेशन जारी हो चुका है. यूपी में अब धर्मांतरण अध्यादेश कानून बन चुका है. यूपी सरकार ने आज इलाहाबाद हाई कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर ये जानकारी दे दी है. यूपी सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने इसकी पुष्टि की है.