दुनियाभर के कई देशो में लॉक डाउन लगा हुआ है और कोरोना का इलाज में कई डॉक्टर और वैज्ञानिक जुटे हुए है। इसी बीच वैज्ञानिकों और डॉक्टर्स की एक टीम ने एक ऐसी स्मार्ट रिंग बनाई है जो लक्षण दिखने से पहले ही कोरोना वायरस के संक्रमण के बारे में जानकारी दे सकती है। इस स्मार्ट रिंग के बारे में जानकारी देते हुए डॉक्टर अली रेजाई ने फ्यूचरिज्म नाम की वेबसाइट को बताया कि कोरोना से संक्रमित होने का सबसे ज्यादा खतरा डॉक्टर्स, पुलिस और स्वास्थ्य कर्मचारियों को है। कई बार उन्हें भी संक्रमण के बारे में जानकारी नहीं होती। ऐसे में यह स्मार्ट रिंग उनके लिए काफी मददगार साबित होगी।
डॉक्टर अली रेजाई ने आगे बताया कि इस खास स्मार्ट रिंग को पहनने के बाद एक मोबाइल एप से कनेक्ट करना होता है। इसके बाद एप पर रोज सुबह पांच मिनट एक गेम खेलना होता है जिसमें कोरोना को लेकर सवाल पूछे जाते हैं। डॉक्टर अली रेजाई वेस्ट वर्जीनिया यूनिवर्सिटी मेडिसिन में न्यूरोसर्जन है और डब्ल्यूवीयू रॉकफेलर न्यूरोसाइंस संस्थान के प्रमुख है। उन्होंने इस स्मार्ट रिंग के लिए वियरेबल प्रोडक्ट बनाने वाली कंपनी औरा हेल्थ के साथ साझेदारी की है। यह स्मार्ट रिंग लोगों के शरीर के तापमान, गतिविधि नींद का पैटर्न और हृदय गति पर लगातार नजर रखती है और डाटा रिकॉर्ड करती है। इस स्मार्ट रिंग में एआई यानी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी का सपोर्ट दिया गया है। रिंग में मौजूद एआई को हजारें यूजर्स के डाटा के साथ ट्रेंड किया गया है। इसमें उन लोगों के डाटा के भी इंटिग्रेट किया गया है जो कोरोना वायरस से संक्रमित थे।
डॉक्टर अली की टीम फिलहाल इस स्मार्ट रिंग की टेस्टिंग करीब एक हजार डॉक्टर्स, नर्स और अस्पताल में काम करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों पर हो रही है। इस स्मार्ट रिंग का नाम औरा रिंग नाम दिया गया है। डॉक्टर अली रेजाई का कहना है कि यह स्मार्ट रिंग किसी इंसान में कोरोना के लक्षण दिखने से 24 घंटे पहले संक्रमण के बारे में जानकारी दे सकती है। औरा रिंग को इस्तेमाल करने वाले एक यूजर्स ने फेसबुक पर अपने अनुभव को साझा किया है। यूजर्स का दावा है कि उसकी अंगूठी ने उसे चेतावनी दी कि वह जल्द ही बीमार होने वाला है। इसके बाद यूजर ने कोरोना वायरस का टेस्ट कराया तो रिजल्ट पॉजिटिव आया। ऐसे में लक्षण दिखने से पहले ही उसे कोरोना के बारे में पता चल गया जिसकी वजह से उसकी रिकवरी जल्दी हुई। डॉक्टर अली ने आगे कहा कि जब तक कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बन जाती है, तबतक हमें इससे बचाव और संक्रमण रोकने का तरीका ढूंढ़ना होगा।