भारत पर 25 फीसदी टैरिफ (Tariff) लगाने और पाकिस्तान के प्रति अपने प्रेम का इजहार करने के बाद अमेरिका के राष्ट्रपतति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump) ने एक और विवादास्पद बयान दिया है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर रूस (Russia) के साथ भारत को भी घसीटते हुए कहा कि ‘दोनों देशों की अर्थव्यवस्थाएं मरी हुई हैं।’ ट्रंप ने फिर एक बार भारत को सबसे ज्यादा टैरिफ वसूलने वाला देश करार दिया। इस सबके बीच ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव का भी जिक्र किया। अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान से लगता है कि वे मेदवेदेव की ‘विश्व युद्ध’ वाली धमकी से भड़के हुए हैं।
पहले आया ट्रंप का अल्टीमेटम
यूक्रेन पर रूस के ताजा हमलों के बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने सोमवार, 28 जुलाई को रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अब सिर्फ 10 से 12 दिन का वक्त दे रहे हैं ताकि यूक्रेन में हिंसा बंद हो। ट्रंप की यह नई चेतावनी दो हफ्ते पहले दिए गए 50 दिन की डेडलाइन से कम है।
फिर आया मेदवेदेव का रिएक्शन
ट्रंप के इस ऐलान पर रूस के पूर्व राष्ट्रपति और वर्तमान में राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष दिमित्री मेदवेदेव ने तीखी प्रतिक्रिया दी। पुतिन के करीबी सहयोगी माने जाने वाले मेदवेदेव ने एक्स पर पोस्ट करते हुए कहा, “ट्रंप रूस के साथ अल्टीमेटम का खेल खेल रहे हैं: 50 दिन या 10 दिन… उन्हें दो बातें याद रखनी चाहिए: 1. रूस न तो इजरायल है और न ही ईरान। 2. हर नया अल्टीमेटम एक धमकी है और युद्ध की ओर एक कदम है। यह युद्ध केवल रूस और यूक्रेन के बीच नहीं, बल्कि उनके अपने देश (अमेरिका) के साथ भी हो सकता है।” ट्रंप इसी धमकी से भड़के हुए हैं।
भारत को बीच में घसीटा
भारत के खिलाफ 25 फीसदी टैरिफ घोषित करने के बाद ट्रंप ने भारत और रूस के साथ व्यापारिक संबंधों पर तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने भारत पर दुनिया में सबसे अधिक टैरिफ लगाने का आरोप लगाया और कहा कि अमेरिका का भारत के साथ बहुत कम व्यापार होता है। ट्रंप ने लिखा, “मैं इस बात की परवाह नहीं करता कि भारत रूस के साथ क्या करता है। वे अपनी मरी हुई अर्थव्यवस्थाओं को एक साथ ले डूब सकते हैं, मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमने भारत के साथ बहुत कम व्यापार किया है, उनके टैरिफ बहुत ऊंचे हैं, दुनिया में सबसे ऊंचे। इसी तरह, रूस और अमेरिका भी लगभग कोई व्यापार नहीं करते। आइए इसे ऐसे ही रहने दें।” इसके साथ ही, ट्रंप ने रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव को भी निशाना बनाया। उन्होंने मेदवेदेव को “असफल पूर्व राष्ट्रपति” करार देते हुए चेतावनी दी कि वे अपने शब्दों पर ध्यान दें, क्योंकि वे “खतरनाक क्षेत्र” में प्रवेश कर रहे हैं।
अमेरिका-रूस टकराव की आहट
इससे पहले ट्रंप ने कहा कि अगर 7 से 9 अगस्त तक कोई ठोस प्रगति नहीं होती तो वे रूस पर “कड़े आर्थिक प्रतिबंध” लगाएंगे। इनमें रूस के व्यापारिक साझेदारों पर सेकेंडरी टैरिफ भी शामिल होंगे। ट्रंप ने कहा, “अब इंतजार करने का कोई कारण नहीं है। हमें कोई प्रगति नहीं दिख रही है। बहुत लोग मर रहे हैं। पुतिन को समझौता करना होगा।” हालांकि, उन्होंने रूस की जनता को लेकर सहानुभूति भी जताई और कहा, “मैं रूसी लोगों से प्यार करता हूं। मैं रूस को चोट नहीं पहुंचाना चाहता, लेकिन बहुत से रूसी और यूक्रेनी नागरिक इस युद्ध में मारे जा रहे हैं।”
कौन हैं दिमित्री मेदवेदेव?
दिमित्री मेदवेदेव रूस के एक प्रमुख राजनेता हैं, जिन्होंने 2008 से 2012 तक रूस के राष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। वर्तमान में वे रूस की सुरक्षा परिषद के उपाध्यक्ष हैं। मेदवेदेव को रूस के आधुनिक इतिहास में एक उदारवादी और तकनीक-प्रेमी नेता के रूप में जाना जाता है, जिन्होंने राष्ट्रपति के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान रूस की डिजिटल अर्थव्यवस्था और नवाचार को बढ़ावा देने की कोशिश की। वे मौजूदा राष्ट्रपति पुतिन के बेहद करीबी माने जाते हैं।
ट्रंप ने बुधवार को भारत पर एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क लगाने की घोषणा की है। इसके अलावा, ट्रंप ने रूस से सैन्य उपकरण और कच्चा तेल खरीदने के लिए अतिरिक्त जुर्माना लगाने का भी फैसला किया। यह आश्चर्यजनक घोषणा ऐसे समय में की गई है जब एक दिन पहले ही भारतीय अधिकारियों ने कहा था कि एक अमेरिकी व्यापार दल व्यापार समझौते पर बातचीत करने के लिए 25 अगस्त से भारत का दौरा करेगा।
इस घोषणा को भारत पर अमेरिका की मांगों को मानने के लिए दबाव बनाने की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है, जिसने हाल ही में जापान, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ (ईयू) जैसे प्रमुख साझेदारों के साथ अनुकूल व्यापार समझौते किए हैं। ट्रंप ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में भारत की व्यापार नीतियों को ‘सबसे कठिन और अप्रिय’ बताया।
अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, “सब कुछ ठीक नहीं है! इसलिए भारत को एक अगस्त से 25 प्रतिशत शुल्क और रूस से खरीद को लेकर ‘जुर्माना’ भी देना होगा।” यह जुर्माना इसलिए लगाया गया क्योंकि भारत ने रूस से तेल और सैन्य उपकरणों की बड़ी खरीद की है। रूस से भारत का कच्चा तेल आयात रूस-यूक्रेन युद्ध से पहले कुल खरीद का 0.2 प्रतिशत था, जो अब बढ़कर 35-40 प्रतिशत हो गया है। चीन के बाद, रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार भारत है।
हालांकि, अमेरिकी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पोस्ट में भारत को अपना ‘मित्र’ बताया। उन्होंने कहा, “भारत हमारा मित्र है, लेकिन हमने पिछले कई वर्षों में उनके साथ अपेक्षाकृत कम व्यापार किया है, क्योंकि उनके शुल्क बहुत अधिक हैं, जो दुनिया में ‘सबसे अधिक’ हैं। उनके पास ‘सबसे कठोर और अप्रिय’ गैर-मौद्रिक व्यापार बाधाएं हैं।” उन्होंने कहा कि इसके अलावा, भारत ने रूस से अपने सैन्य उपकरण और ऊर्जा उत्पाद तब खरीदे है जब हर कोई चाहता है कि रूस, यूक्रेन में हत्याएं बंद करे।