रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Russian President Vladimir Putin) ने देश के सभी समुद्री बंदरगाहों (Sea Ports) पर विदेशों से आने वाले जहाजों की जांच और एंट्री के नियम (Ships Inspection and Entry Rules) और सख्त (strict) कर दिए हैं। अब किसी भी विदेशी जहाज को रूसी समुद्री बंदरगाह में प्रवेश के लिए पोर्ट कप्तान की अनुमति लेनी होगी, जो फेडरल सिक्योरिटी सर्विस (FSB) यानी रूस की मुख्य सुरक्षा एजेंसी के साथ मिलकर दी जाएगी। पहले तक, यह मंजूरी केवल उन्हीं जहाजों के लिए जरूरी थी जो रूसी नौसैनिक बेस के आसपास के पोर्ट्स पर आते थे, लेकिन अब यह देश के सभी बंदरगाहों पर लागू होगी।
क्यों किया गया यह बदलाव?
हाल के महीनों में रूसी या रूसी बंदरगाहों पर गए तेल टैंकरों पर कई रहस्यमय ब्लास्ट हुए हैं। सबसे ताजा धमाका करीब एक महीने पहले लीबिया के पास एक ऐसे जहाज पर हुआ था, जो इसके पहले रूस के बाल्टिक बंदरगाह उस्त-लुगा और ब्लैक सी पोर्ट नोवोरोसिस्क पर भी रुका था। इन धमाकों के कारण सुरक्षा एजेंसियों ने संदेह जताया है कि किसी राज्य-प्रायोजित एजेंसी ने रूसी तेल टैंकरों को निशाना बनाया हो सकता है। सुरक्षा चिंताओं को देखते हुए, रूस की सुरक्षा परिषद ने भी बंदरगाहों की सुरक्षा के उपायों को बढ़ाने की सिफारिश की थी।
किस तरह बढ़ेगी निगरानी?
बंदरगाहों पर पहुंचने वाले जहाजों के पतवार (हुल) की अंडरवॉटर जांच के लिए रूस के पोर्ट अथॉरिटी ने बड़ा टेंडर निकाला है, जिसमें 3.16 अरब रूबल (करीब $40.4 मिलियन) खर्च किए जाएंगे। अब जहाज मालिक गोताखोरों और अंडरवॉटर ड्रोन की मदद से ऐसे जहाजों की जांच करा रहे हैं, जिन्होंने कभी रूसी बंदरगाहों पर लंगर डाला हो—इनमें बारूदी सुरंग या विस्फोटक लगाने का डर सता रहा है।
रूस-यूक्रेन युद्ध
फरवरी 2022 के बाद से रूस-यूक्रेन युद्ध के बीच दोनों देश एक-दूसरे की ऊर्जा संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर रहे हैं। यूक्रेन कई बार रूसी ऊर्जा इन्फ्रास्ट्रक्चर पर हमले कर चुका है, जबकि रूस भी यूक्रेन के ऊर्जा संसाधनों को निशाना बना रहा है। तेल टैंकरों पर हो रहे रहस्यमय विस्फोट इसी रणनीति का हिस्सा माने जा रहे हैं।