उत्तर प्रदेश में लगातार हो रही मूसलाधार बारिश से हालात को गंभीर बना दिया है। गुरुवार को बारिश की वजह से हो रही घटनाओं में सात लोगों की जान चली गई। मृतकों में प्रयागराज के चार, बांदा के दो और कानपुर का एक व्यक्ति शामिल है। प्रयागराज में 91 मिलीमीटर से ज्यादा बारिश दर्ज की गई। गंगा और यमुना नदियों के जलस्तर में उतार-चढ़ाव देखा गया। गंगा की तेज धाराओं के कारण कई नावें डूब गईं, और कुछ बहाव में दूर बह गईं, जिससे नाविकों को भारी नुकसान उठाना पड़ा।
मिर्जापुर में दो दिनों से लगातार बारिश ने जनजीवन को पूरी तरह ठप कर दिया। पहाड़ी नदियों और नालों में उफान के कारण बांधों के फाटक खोलने पड़े। सड़कों पर पानी भरने से यातायात रुक गया और कई गांवों का बाहरी दुनिया से संपर्क टूट गया। अंडरपास में पानी भरने से कई वाहन फंस गए।
सहारनपुर में शिवालिक पहाड़ियों पर हो रही बारिश के कारण शाकंभरी, बादशाही, शफीपुर, खुवासपुर और शाहपुर गाडा जैसी नदियों में तेज बहाव आया। इस वजह से इन नदियों और रपटों से गुजरने वाले रास्तों पर कई घंटों तक आवागमन बंद रहा। सिद्धपीठ में भी श्रद्धालुओं को भूरादेव पर ही रोक दिया गया। गुरुवार को चित्रकूट में 105 मिलीमीटर बारिश दर्ज हुई, जिससे बाढ़ जैसे हालात पैदा हो गए। मंदाकिनी नदी शाम पांच बजे तक खतरे के निशान से दो मीटर ऊपर बह रही थी।
दक्षिणी यूपी और बुंदेलखंड में आज भी बारिश का खतरा
बुधवार और गुरुवार को प्रदेश के दक्षिणी हिस्सों और बुंदेलखंड में भारी मानसूनी बारिश ने तबाही मचाई। कई इलाकों में तेज गरज-चमक के साथ मूसलाधार बारिश और जलभराव ने लोगों का जीवन मुश्किल कर दिया। मिर्जापुर के चुनार में सबसे ज्यादा 240 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जबकि प्रयागराज में 209 मिमी, जौनपुर में 142 मिमी, सोनभद्र में 100 मिमी और वाराणसी में 92.2 मिमी बारिश हुई। मौसम विभाग ने शुक्रवार के लिए प्रयागराज, बांदा, चित्रकूट, झांसी, ललितपुर और महोबा में भारी बारिश का रेड अलर्ट जारी किया है। इसके अलावा कानपुर, मथुरा, आगरा समेत दस अन्य जिलों में भी भारी बारिश की चेतावनी दी गई है।
एएमयू बताएगा बिजली गिरने का समय
अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) अब छह घंटे पहले बता सकेगा कि बिजली कहां गिरने वाली है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने एएमयू के भूगोल विभाग में एक विशेष उपकरण स्थापित किया है। इस उपकरण के ट्रांसमीटर और सेंसर बादलों की गतिविधियों पर नजर रखते हैं और इसरो को जानकारी भेजते हैं। परियोजना समन्वयक प्रोफेसर अतीक अहमद ने बताया कि 5 नवंबर 2024 को इसरो और एएमयू के बीच इस संबंध में एक समझौता हुआ था। यह उपकरण 300 किलोमीटर के दायरे में आने वाले क्षेत्रों की निगरानी कर रहा है।