राज्य की अर्थव्यवस्था में भारी उछाल दर्ज हुआ है। सकल घरेलू उत्पाद 29.6 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े तक पहुंच रहा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने राज्य की इस आर्थिक यात्रा को संभावनाओं से परिणाम तक की प्रक्रिया बताते हुए कहा कि यह बदलाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में विकसित भारत की परिकल्पना से प्रेरित है। उन्होंने अधिकारियों को वर्ष 2026 तक राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में यूपी की 10 फीसदी हिस्सेदारी का लक्ष्य सौंपा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को नियोजन विभाग की उच्चस्तरीय बैठक में प्रदेश की आर्थिक स्थिति, विकास संरचना और राजस्व स्रोतों की व्यापक समीक्षा की। जोर दिया कि प्रदेश की अर्थव्यवस्था अब केवल आँकड़ों की प्रगति नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर बदलाव का प्रमाण बन चुकी है। बैठक में बताया गया कि राज्य की सकल घरेलू उत्पाद (जीएसडीपी) 2024-25 में ₹29.6 लाख करोड़ के आँकड़े को छू रही है। जो 2020-21 की तुलना में लगभग 80 प्रतिशत ज्यादा है। इसी अवधि में राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में प्रदेश की हिस्सेदारी 8.4 प्रतिशत से बढ़कर 8.9 प्रतिशत हो गई है। मुख्यमंत्री ने इसे आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश की दिशा में ठोस उपलब्धि बताया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विभिन्न विभागों द्वारा प्रस्तुत किए जाने वाले आंकड़े पूर्णतः प्रमाणिक और अद्यतन होने चाहिए। निर्देश दिए कि कृषि, विनिर्माण, सेवा, ऊर्जा और मानव संसाधन जैसे प्रत्येक प्रमुख क्षेत्र के लिए स्पष्ट, समयबद्ध और परिणामोन्मुख रोडमैप तैयार कर नियोजन विभाग के समन्वय से सतत समीक्षा की व्यवस्था हो। राज्य के दो प्रमुख राजस्व स्रोतों; जीएसटी और आबकारी राजस्व में बढ़ोत्तरी को मुख्यमंत्री ने राजस्व स्वावलंबन के प्रमाण बताते हुए कहा कि राजस्व वृद्धि सेवा विस्तार और सामाजिक योजनाओं के विस्तार का आधार बने।
ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में लगे नई इकाइयां
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य की आर्थिक संरचना में स्पष्ट परिवर्तन दिखाई दे रहा है। विनिर्माण और सेवा क्षेत्रों की हिस्सेदारी में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि कृषि आधारित हिस्सेदारी क्रमिक रूप से कम हो रही है। ‘मेक इन यूपी’ मॉडल को अगले दशक के लिए औद्योगिक रणनीति का आधार बताते हुए निर्देश दिए कि ग्रामीण और अर्ध-शहरी क्षेत्रों में नई इकाइयों की स्थापना के लिए प्रोत्साहित किया जाए। पंजीकृत फैक्ट्रियों की संख्या वर्ष 2024-25 में 27 हजार से अधिक हो गई है। मुख्यमंत्री ने कहा कि जरूरत है विनिर्माण को जिलों में समान रूप से प्रसारित किया जाए, जिससे स्थानीय युवाओं को रोजगार और राज्य को राजस्व मिले।
खाद्यान्न उत्पादन बढ़ा, लेकिन कई जिले सुस्त
कृषि क्षेत्र की समीक्षा में बताया गया कि खाद्यान्न उत्पादन वर्ष 2024-25 में 722 लाख मीट्रिक टन तक पहुँचने का अनुमान है, जो 2020-21 की तुलना में 100 लाख मीट्रिक टन अधिक है। हालांकि, जिलावार उत्पादकता में अभी भी बड़ा अंतर मौजूद है। कुछ जिलों में गेहूं की उत्पादकता 46 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक पहुँच गई है, वहीं कुछ में यह 30 के आसपास है। मुख्यमंत्री ने इसे असंतुलन मानते हुए निर्देश दिए कि तकनीकी सहायता और किसान जागरूकता अभियानों के माध्यम से यह अंतर कम किया जाए।
40 फीसदी बढ़ा आईटी सेवाओं का निर्यात
राज्य में सूचना प्रौद्योगिकी सेवाओं के निर्यात में भी उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। एसटीपीआई के माध्यम से 2024-25 में 46,800 करोड़ मूल्य की आईटी सेवाओं का निर्यात हुआ, जो 2021-22 की तुलना में 40 प्रतिशत अधिक है। मुख्यमंत्री ने इसे युवाओं के लिए अपार संभावनाओं वाला क्षेत्र बताया। इसी तरह परिवहन, पर्यटन, होटल और व्यापार जैसे सेवा क्षेत्रों में भी सकारात्मक संकेत देखे गए, विशेषकर कोविड के बाद पर्यटन क्षेत्र में आगंतुकों की संख्या में क्रमशः सुधार हुआ है।