टैरिफ वॉर(Tariff War) के बाद अब ताइवान (Taiwan)को लेकर चीन(China ) और अमेरिका(America) के बीच तनाव गहराता जा रहा है। इस टेंशन के बीच पेंटागन ने अपने दो मित्र देशों से सवाल किया है कि अगर चीन से युद्ध की स्थिति बनती है तो वे उसका साथ देंगे या नहीं? अमेरिका की इस नई रणनीति से साफ है कि वह चीन के साथ संभावित टकराव के लिए वैश्विक मोर्चा तैयार कर रहा है और अब अपने सहयोगियों से भी बिना लाग-लपेट जवाब चाहता है।
अमेरिका ने जिन देशों से चीन को लेकर सवाल किया है कि वे ऑस्ट्रेलिया और जापान हैं। दरअसल, ये तीनों देश क्वाड समहू का हिस्सा हैं। इसमें भारत भी शामिल है। हालांकि अमेरिका ने यह सवाल सिर्फ जापान और ऑस्ट्रेलिया से किया है। क्वाड एक रणनीतिक समूह है, जिसका मुख्य उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में शांति, स्थिरता और स्वतंत्र नौवहन को बढ़ावा देना है। यह समूह विशेष रूप से चीन के बढ़ते प्रभाव को संतुलित करने के लिए चर्चा में रहता है।
अमेरिका के सवाल से चौंक गए मित्र देश
फाइनेंशियल टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिका के रक्षा नीति सचिव एल्ब्रिज कोल्बी ने हालिया बातचीत में इस सवाल को सीधे तौर पर एशियाई सहयोगियों जापान और ऑस्ट्रेलिया के समक्ष उठाया, जिससे टोक्यो और कैनबरा दोनों चौंक गए। वजह ये है कि खुद अमेरिका ने भी कभी ताइवान की रक्षा को लेकर कोई खुली गारंटी नहीं दी है।
सहयोगियों पर दबाव
कोल्बी ने एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा कि पेंटागन राष्ट्रपति की “अमेरिका फर्स्ट” सोच को लागू करने पर काम कर रहा है, जिसमें शक्ति के ज़रिए शांति और निवारक ताकत को बहाल करना शामिल है। इसके तहत अमेरिका अपने सहयोगियों से रक्षा खर्च बढ़ाने और सामूहिक सुरक्षा में सक्रिय योगदान की मांग कर रहा है।
चीन की धमकियों के बीच ताइवान पर फोकस
अमेरिका और ताइवान के बीच कोई औपचारिक राजनयिक संबंध नहीं हैं, लेकिन अमेरिका ताइवान का सबसे बड़ा हथियार आपूर्तिकर्ता है। ताइवान लगातार चीन के सैन्य दबाव में है। बीजिंग कई बार ताइवान के आसपास युद्धाभ्यास कर चुका है और द्वीप को अपना हिस्सा बताता है, जिसे ताइवान सिरे से खारिज करता है।
ट्रंप प्रशासन के दौरान रणनीति और बल विकास के उपसचिव रह चुके एल्ब्रिज कोल्बी इस विचारधारा के प्रमुख समर्थक हैं कि अमेरिका को अपनी सैन्य नीति का फोकस मध्य-पूर्व और यूरोप से हटाकर चीन की ओर करना चाहिए।