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UP के मंदिरों का होगा जीर्णोद्धार: बड़े पैमाने पर योगी सरकार कराएगी कायाकल्प, पर्यटन विभाग ने की कार्ययोजना तैयार

उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने राज्य की धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने के लिए मंदिरों के बड़े पैमाने पर जीर्णोद्धार और पर्यटन विकास की एक महत्वाकांक्षी योजना शुरू की है। इस योजना के तहत भृगु और दुर्वासा ऋषि के आश्रमों सहित जैन मंदिर का कायाकल्प किया जाएगा। विशेष रूप से पूर्वांचल के मंदिरों पर ध्यान केंद्रित करते हुए, पर्यटन विभाग ने एक विस्तृत कार्ययोजना तैयार की है।

इसमें बलिया में भृगु आश्रम स्थित चित्रगुप्त मंदिर का सौंदर्यीकरण, तेंदुआ पट्टी फरसातर मौजा होलपुर में हनुमान मंदिर परिसर का पर्यटन विकास, बसंतपुर गांव में उदासीन मठ का विकास, अजमगढ़ के महाराजगंज में भैरोबाबा स्थल का पर्यटन विकास, फूलपुर पवई में दुर्वासा ऋषि आश्रम का विकास, मऊ के दुआरी गांव में श्री वीरा बाबा ब्रह्म स्थान का पर्यटन विकास, अजमगढ़ के मिश्रापुर में राम जानकी मंदिर का विकास, कन्नौज के सदर में फूलमती देवी मंदिर का सौंदर्यीकरण होगा

इसके साथ ही अजमगढ़ के धन्नीपुर, सिंगपुर बांसगांव में स्वर्गीय संत परमहंस बाबा के स्थल का भी पर्यटन विकास इस योजना में शामिल है। अयोध्या, काशी, और मथुरा जैसे प्रमुख धार्मिक केंद्रों के साथ-साथ राज्य के अन्य प्राचीन मंदिरों और तीर्थ स्थलों को वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर लाने के लिए सरकार ने कई योजनाएं लागू की हैं। 2024 में 65 करोड़ पर्यटकों ने उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थलों का दौरा किया, जो इन पहलों की सफलता को दर्शाता है।

योगी सरकार की होमस्टे नीति-2025, जिसमें धार्मिक और पर्यटन स्थलों पर स्थानीय लोगों को अपने घरों को होमस्टे में बदलने के लिए प्रोत्साहन और सब्सिडी दी जा रही है, ने पर्यटकों के लिए ठहरने की सुविधाओं को बेहतर बनाया है। इसके अलावा, पुराने मंदिरों और तीर्थ स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए नई नीति और पुजारियों के कल्याण के लिए विशेष बोर्ड के गठन की योजना भी सराहनीय है। योगी आदित्यनाथ ने धार्मिक स्थलों के सौंदर्यीकरण, जीर्णोद्धार और सुदृढ़ीकरण को सरकार की प्रमुख प्राथमिकताओं में शामिल किया है।

इन प्रयासों से न केवल उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत को संरक्षित किया जा रहा है, बल्कि स्थानीय रोजगार, व्यापार और पर्यटन सेवा उद्योग को भी बढ़ावा मिल रहा है। यह पहल उत्तर प्रदेश को धार्मिक पर्यटन के क्षेत्र में एक नई पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। भृगु और दुर्वासा ऋषि के आश्रमों से लेकर जैन मंदिर और अन्य धार्मिक स्थलों के कायाकल्प से श्रद्धालुओं को बेहतर सुविधाएं मिलेंगी और राज्य की सांस्कृतिक धरोहर विश्व पटल पर चमकेगी।