कोल्हापुरी चप्पलें जो कभी सिर्फ पुरुषों के लिए थीं आज दुनियाभर में फेमस हैं। महाराष्ट्र के कोल्हापुर में बनी ये चप्पलें अपनी देसी स्टाइल और मजबूती के लिए जानी जाती हैं। इनका इतिहास 12वीं-13वीं सदी से जुड़ा है जब छत्रपति शिवाजी महाराज ने इसके कारीगरों की प्रशंसा की थी। कभी कानवाली के नाम से जानी जाने वाली ये चप्पलें आज फैशन की दुनिया में खास पहचान बना चुकी हैं।
जब भी हम भारत की पुरानी और हाथ से बनी चीजों की बात करते हैं, तो कोल्हापुरी चप्पल का नाम जरूर जहन में आता है। ये सिर्फ पैराें में पहनने वाली चप्पल या स्लीपर नहीं है, बल्कि हमारे देश की संस्कृति, कारीगरों की कड़ी मेहनत और उनके हुनर काे भी दिखाती है। हालांकि, आज ये सिर्फ भारत का हिस्सा नहीं हैं। बल्कि पूरी दुनिया में इसे पहना जाने लगा है। इसकी बनावट ऐसी होती है कि हमें पुरानी भारतीय परंपरा की झलक देखने को मिलती है।
आमतौर पर ये हजार या 500 में मिल जाती है, लेकिन कुछ दिन पहले इस चप्पल का सोशल मीडिया पर एक वीडियो वायरल हाे रहा था, जिसमें प्राडा नाम की एक कंपनी इसे एक लाखों में बेच रही थी। इसे सुनकर हर किसी का दिमाग घूम गया था। ये वीडियो इटली की बताई गई थी। लेकिन इसकी खासियत इसे बनाने वाले कारीगर ही जानते हैं।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर की पहचान ये चप्पलें आज पूरी दुनिया में ठेठ देसी स्टाइल और मजबूती के लिए फेमस हो गईं हैं। लेकिन क्या आपने कभी इसका इतिहास जानने की कोशिश की। आज का हमारा लेख इसी विषय पर है। हम आपको अपने इस लेख में कोल्हापुरी चप्पलों के इतिहास के बारे में बताने जा रहे हैं। आइए जानते हैं विस्तार से-
पहले सिर्फ पुरुष पहनते थे ये चप्पल
आपको बता दें कि कोल्हापुरी चप्पल का इतिहास सदियों पुराना है। पहले इसे केवल पुरुष ही पहनते थे। लेकिन समय के साथ-साथ फैशन की दुनिया में बदलाव हुआ। आज महिलाएं भी रंग-बिरंगी, कढ़ाईदार कोल्हापुरी चप्पलों को पहन रही हैं। दरअसल, ये स्टाइल और कम्फर्ट दोनों के लिहाज से बेहतर मानी जाती है। काेल्हापुरी चप्पल की कहानी 12वीं या 13वीं सदी की मानी जाती है।
छत्रपति शिवाजी महाराज ने खुद की थी तारीफ
बताया जाता है कि पंचगंगा नदी के किनारे बसे शहर कोल्हापुर (जो महाराष्ट्र में है) पर छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशजों का शासन हुआ करता था। इस शहर को पूरी तरह से संपन्न माना जाता था। छत्रपति शिवाजी महाराज ने खुद इस चप्पल को बनाने वाले कारीगरों की तारीफ की थी। कहते हैं कि इसे बनाने की शुरुआत सबसे पहले 1920 में सऊदागर परिवार ने की थी।
फैशन की दुनिया में है नाम
उस दौरान कोल्हापुरी चप्पलें बहुत पतली हुआ करती थीं। दोनों साइड में छोटे-छोटे फ्लैप्स हुआ करते थे। उस समय कोल्हापुरी को ‘कानवाली’ के नाम से भी पुकारा जाता था। कुछ ही समय बाद ये चप्पलें मुंबई पहुंच गईं। वहां के ब्रांडेड स्टाेर में इनकी खूब बिक्री होने लगी। धीरे-धीरे ये पूरे भारत में फेमस हो गईं। और अब पूरी दुनिया में इस फुटवियर को खूब पसंद किया जाता है। सेलिब्रिटीज से लेकर आम लोग भी इसे खूब पहनते हैं। फैशन की दुनिया में कोल्हापुरी चप्पलों में अपनी एक खास पहचान बना ली है।