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महाकुंभ में मची भगदड़ के बीच सीएम योगी ने की श्रद्धालुओं से अपील- सभी घाटों पर शांतिपूर्ण स्नान जारी, अफवाहों पर ध्यान न दें

महाकुंभ में देर रात कुछ समय के लिये भगदड़ जैसे हालात बनने के बाद स्थिति संगम तट पर स्थिति अब सामान्य हो चुकी है और सरकार ने श्रद्धालुओं से अफवाहों पर ध्यान न देने की सलाह देते हुये अपील की है कि वे अपने नजदीक के घाट पर ही स्नान करें।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को कहा कि श्रद्धालु मां गंगा के जिस घाट के समीप है, वहीं स्नान करें और संगम नोज की ओर जाने का प्रयास न करें। स्नान के लिए कई घाट बनाये गये है और इनमे से किसी में भी स्नान किया जा सकता है।

उन्होंने कहा कि श्रद्धालु प्रशासन के निर्देशों का अनुपालन करे और व्यवस्था बनाने में सहयोग करें। श्रद्धालु किसी भी अफवाह पर ध्यान ना दें। इस बीच सरकार ने एक बयान जारी कर कहा कि संगम के सभी घाटों पर शांतिपूर्वक स्नान चल रहा है और कहीं से भी किसी अप्रिय घटना की सूचना नहीं है।

संगम पर भारी भीड़ से अखाड़ों का अमृत स्नान रद्द

महाकुंभ में मौनी अमावस्या स्नान पर्व के अवसर पर संगम तट के निकट भगदड़ मचने के बीच अखाड़ों का “अमृत स्नान” फिलहाल रद्द कर दिया गया है। अखिल भारतीय अखाडा परिषद और हरिद्वार स्थित मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी ने बताया कि जिस प्रकार से श्रद्धालुओं की भीड़ स्नान के लिए उमडी है और भगदड़ की घटना सामने आई है उससे अखाड़ों ने “अमृत स्नान” काे फिलहाल निरस्त कर दिया है। उन्होंने कहा कि अखाडों के वहां जाने से स्थिति और भी बिगड सकती है। उन्होंने बताया कि भगदड के कारण अमृत स्नान का कार्यक्रम फिलहाल रद्द कर दिया गया है। आगे की जो भी रणनीति होगी उसके अनुसार कार्य किया जाएगा। स्थिति सामान्य होने पर शाम तक अमृत स्नान हो सकता है।

गौरतलब है कि मौनी अमावस्या पर्व पर सबसे पहले महानिर्वाणी अखाड़ा स्नान करता है। भीड़ को देखते हुए इस बार सभी अखाडों के पूर्व निर्धारित समय को बदलकर एक घंटा पहले कर दिया गया था। महाकुंभ के पहले मकर संक्रांति “अमृत स्नान” के लिए महानिर्वाणी और अटल अखाडा ने सबसे पहले 6.15 बजे संगम तट पहुंचकर आस्था की डुबकी लगायी थी। इस बार सभी अखाडों के अमृत स्नान का कार्यक्रम को एक घंटा पहले कर दिया गया था।

महानिवर्णी और अटल को चार बजे शिविर से निकलकर 5 बजकर 40 मिनट पर घाट खाली करना था। दोनो अखाड़े अमृत स्नान के लिए निकले थे कि मेला प्रशासन के अनुरोध पर अपने छावनी वापस लौट गए। उन्होंने बताया कि उनके देवता और कुछ महामंडलेश्वर आगे निकल गए। देवता स्नान के लिए निकल जाने के बाद वापस नहीं होते उन्हें सुरक्षा देकर स्नान कराया जाएगा। शेष सभी अखाडों के आचार्य महामंडलेश्वर और मंउलेश्वर के रथ शिविर को वापस हो गए।