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नौसेना प्रमुख बोले-‘महासागरों की निगरानी के लिए भारत के पास प्रभावी तंत्र’

नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने कहा है कि भारत के पास महासागरों की निगरानी के लिए प्रभावी तंत्र है। भारत इस बात से पूरी तरह से अवगत है कि ‘कौन कहां है और क्या कर रहा है’ ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि देश के हितों के साथ कोई समझौता न हो।

भारतीय नौसेना द्वारा शुक्रवार शाम आयोजित राष्ट्रव्यापी क्विज प्रतियोगिता ‘थिनक्यू 2024’ के ग्रैंड फिनाले के बाद त्रिपाठी ने यह भी कहा कि भारत अपने ‘हित के क्षेत्र’ में गतिविधियों पर ‘कड़ी नजर’ रखता है।

नौसेना प्रमुख ने कहा, चीन दुनिया के किसी भी हिस्से में जो कुछ भी करता है, उसे करने दें। वे हमारे हित वाले क्षेत्र में क्या करते हैं, हम उस पर कड़ी नजर रख रहे हैं। हमारे हिस्से में ऐसा कुछ भी नहीं होता है जिसके बारे में हमें पता न हो।

नौसेना प्रमुख ने कहा कि नवाचार नौसेना की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। त्रिपाठी ने यह भी कहा कि भारतीय नौसेना को उन दो युवा महिला नौसेना अधिकारियों पर गर्व है जो ‘नाविका सागर परिक्रमा-2’ के तहत एक नाव में सवार होकर विश्व का चक्कर लगाने के मिशन पर हैं। यह चुनौतीपूर्ण यात्रा है, क्योंकि उन्हें समुद्र और खराब मौसम का सामना करना पड़ेगा, लेकिन वे अच्छी तरह से प्रशिक्षित हैं।

थिनक्यू 2024 के लिए देशभर के 3,800 शहरों और कस्बों से 12,600 स्कूलों ने भाग लिया। 16 टीमों ने सेमीफाइनल में प्रवेश किया, और आठ टीमों ने आयोजित ग्रैंड फिनाले में भाग लिया।

भारत की सैन्य विरासत के संरक्षण के लिए ‘शौर्य गाथा’ परियोजना शुरू

चीफ आफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने शुक्रवार को शौर्य गाथा परियोजना का शुभारंभ किया। इस परियोजना का उद्देश्य शैक्षिक कार्यक्रमों और पर्यटन के माध्यम से भारत की सैन्य विरासत को संरक्षित और बढ़ावा देना है।

कार्यक्रम के दौरान जनरल चौहान ने सैन्य विषयों पर कई पुस्तकों का भी विमोचन किया। सीडीएस ने राष्ट्रीय राजधानी में वार्षिक भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव के दूसरे संस्करण का उद्घाटन किया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने रक्षा अनुसंधान में नवाचारों के माध्यम से आत्मनिर्भर भारत में योगदान देने की अपनी उपलब्धियों पर फोटो प्रदर्शनी का आयोजन किया।

भारतीय सैन्य विरासत महोत्सव का उद्देश्य भारत की सैन्य परंपराओं, सुरक्षा और रणनीति के मुद्दों की समझ को बढ़ाना तथा आत्मनिर्भर भारत पहल के माध्यम से सैन्य क्षमता में आत्मनिर्भरता हासिल करने के प्रयास करना है।