पंजाब से सटे कालांवाली और डबवाली विधान सभा क्षेत्र में प्रदेश व जिले के कांग्रेस नेता जिले में प्रत्याशियों के पक्ष में प्रचार करते हुए नजर नहीं आ रहे हैं। वहीं, यहां पंजाब के प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अमरिंदर सिंह राजा वडिंग व उनकी धर्मपत्नी अमृता वडिंग चुनाव प्रचार को संभाले हुए हैं। विधायकों को मंत्री तक बनाने के दावे पंजाब के नेता करते नजर आते हैं।
कालांवाली और डबवाली पंजाब से सटे हुए विधानसभा क्षेत्र हैं। इन दोनों विधानसभा क्षेत्र पर कांग्रेस का कब्जा है। डबवाली में कांग्रेस प्रत्याशी विधायक अमित सिहाग इस बार कड़े मुकाबले में फंसे हुए हैं। कालांवाली में कांग्रेस प्रत्याशी का मुकाबला भाजपा प्रत्याशी और इनेलो के प्रत्याशी के बीच हो रहा है। हैरानी की बात है कि कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करने के लिए सिरसा जिले के बड़े नेता अभी तक नजर नहीं आए हैं। जो कभी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और सांसद कुमारी सैलजा की रैलियों में नजर आते थे। कांग्रेस के नेताओं की चुप्पी ने कांग्रेस प्रत्याशियों के लिए मुश्किलें बढ़ा दी हैं।
पंजाब की बदलती राजनीति का पड़ता है असर
कालांवाली विधान सभा क्षेत्र के करीब 20 से 25 गांव पंजाब सीमा के साथ लगते हैं। डबवाली विधान सभा क्षेत्र के 14 से 15 गांव पंजाब की सीमाओं से लगते हैं। डबवाली शहर भी पंजाब सीमा पर बसा हुआ है। पंजाब में होने वाले राजनीतिक बदलावों और घटनाक्रम का यहां सबसे ज्यादा असर पड़ता है। अकाली दल का आज भी इन दिनों विधानसभा क्षेत्रों पर गहरा असर है। यहां सिख और कंबोज समुदाय के ज्यादा वोट हैं। इस बार चुनाव में किसान आंदोलन का असर भी देखने को मिल रहा है। इससे भुनाने में आम आदमी पार्टी, इनेलो और कांग्रेस जी जान से लगी हुई है।
कांग्रेस नेताओं की दूरी बनी चर्चा का विषय
कालांवाली, डबवाली, सिरसा, रानियां चारों विधानसभा क्षेत्रों में बड़े कांग्रेसी नेताओं का गायब होना चर्चा का विषय बना हुआ है। रानियां में कांग्रेस नेताओं की नाराजगी इतनी ज्यादा है कि प्रत्याशी अकेले मैदान में डटे हुए हैं। रानियां से टीशू प्रधान, विशाल वर्मा, पूर्व मंत्री के बेटे संदीप नेहरा टिकट के दावेदार थे।
टिकट न मिलने के बाद ही पूरी तरह से चुनावी मैदान से गायब हैं। डबवाली में सैलजा गुट के कांग्रेस नेता जग्गा सिंह बराड़ अभी तक चुनावी मैदान नहीं उतरे हैं। जबकि वे कालांवाली में शीशपाल केहरवाला से मुलाकात जरूर कर पा रहे हैं। सिरसा में भले ही कांग्रेस नेताओं ने अपना समर्थन पार्टी प्रत्याशी गोकुल सेतिया को दिया हो। अभी तक पूरी तरह से खुलकर सामने नहीं आए हैं।