देशभर में 5जी सर्विस (5G Service in India) रोलआउट होने से पहले केंद्र सरकार ने राज्यों को एक अहम निर्देश दिया है, जिसके कार्यान्वयन से करीब 3000 करोड़ रुपये बचाए जा सकते हैं. जल्द ही देश में किसी प्राधिकरण को अगर बिजली के तार, पानी की पाइपलाइन या गैस पाइपलाइन बिछाने के लिए जमीन खोदने की जरूरत पड़ती है, तो उसे एक मोबाइल एप्लिकेशन पर इसकी सूचना देनी होगी, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि महंगे टेलीकॉम फाइबर को कोई नुकसान न हो.
खबर के मुताबिक, जैसा कि भारत देश भर में 5G नेटवर्क रोलआउट करने के लिए तैयार है, केंद्र की मोदी सरकार ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में ‘कॉल बिफोर यू डिग’ (CBUD) मोबाइल ऐप के रोलआउट का विस्तार करने का अहम फैसला किया है. सड़क और सार्वजनिक स्थानों की खुदाई के दौरान पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब सीबीयूडी ऐप अपनाने को कहा गया है.
बता दें कि सीबीयूडी यानी कॉल विफोर यू डिग ऐप को इस साल अक्टूबर में गुजरात और 5G Service in India: सड़क और सार्वजनिक स्थानों की खुदाई के दौरान पहले से मौजूद बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को अब सीबीयूडी ऐप अपनाने को कहा गया है. बता दें कि सीबीयूडी यानी कॉल विफोर यू डिग ऐप को इस साल अक्टूबर में गुजरात और केंद्र शासित प्रदेश दादरा और नगर हवेली में लॉन्च किया गया था.
पिछले हफ्ते सीआईआई के एक कार्यक्रम में दूरसंचार सचिव के. राजारमन ने कहा था कि ऑप्टिक फाइबर को मेंटेन रखने की लागत काफी अधिक है. उन्होंने कहा कि सीबीयूडी पायलट को सड़कों की खुदाई और अन्य बुनियादी ढांचे से जुड़े कार्यों के दौरान दूरसंचार बुनियादी ढांचे को नुकसान से बचाने के लिए चलाया जा रहा है. राजारमन ने कहा कि फाइबर के माध्यम से कॉम्प्लीमेंट्री कनेक्टिविटी मोबाइल सेवाओं का समर्थन करने के लिए महत्वपूर्ण है.
सरकारी डेटा के मुताबिक, दूरसंचार क्षेत्र में पूरे भारत में हर साल लगभग 10 लाख ऑप्टिक फाइबर केबल कट जाते हैं, जिससे भारी आर्थिक नुकसान होता है. इसकी वजह से हर साल दूरसंचार सेवा प्रदाताओं और इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स का मरम्मत में 3,000 करोड़ रुपये का फालतू खर्च होता है. साथ ही नागरिकों को असुविधा और व्यावसायिक नुकसान भी होता है.