एसवाईएल मुद्दे को लेकर आज पंजाब और हरियाणा के मुख्यमंत्रियों के बीच हाईलेवल मीटिंग हुई। लेकिन बैठक में दोनों राज्यों के बीच कोई भी सहमति नहीं बन सकी। मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि पंजाब के पास पानी बहुत सीमित मात्रा में है, ऐसे में पंजाब हरियाणा को पानी नहीं दे सकता। बैठक के बाद हरियाणा के सीएम मनोहर लाल ने कहा कि बैठक में सहमति नहीं बन पाई।
जब पानी ही नहीं तो एसवाईएल के निर्माण का क्या मतलब
भगवंत मान ने कहा कि हरियाणा का कहना है कि पहले एसवाईएल का निर्माण कर दिया जाए। पानी फिर देख लेंगे। मान ने कहा कि ऐसे नहीं होता है, जब पानी ही नहीं है तो एसवाईएल के निर्माण का क्या मतलब। पंजाब के सीएम ने कहा कि पंजाब का वाटर लेबल लगातार कम होता जा रहा है। राज्य के पास अपने लिए ही पानी नहीं है।
नहीं बदला पंजाब का अड़ियल रुख- मनोहर लाल खट्टर
वहीं हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि पंजाब अपने पुराने रुख पर कायम रहा और इस कारण बैठक मेंं कोई सहमति नहीं बनी। मनोहर लाल ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट हरियाणा के पक्ष में फैसला दे चुका है, लेकिन पंजाब अड़ियल रुख नहीं बदला है।
मान ने एसवाईएल को लेकर आंकड़े रखे सामने
मान ने साफ तौर पर स्पष्ट करते हुए आंकड़ों के साथ एसवाईएल को लेकर अपनी बात सबके सामने रखी। मान ने कहा कि जब सतलुज-यमुना लिंक (एसवाईएल) नहर का समझौता हुआ था उस समय पंजाब के पास 18.56 एमएएफ पानी था, जो कि अब घटकर 12.6 फीसदी पानी रह गया है। मान ने कहा कि पानी की डिमांड करने वाले पहले पंजाब में पानी माप लें। हो सकता है पंजाब को कहीं और से पानी देने की जरूरत पड़ जाए।
हल निकालने के लिए चलते है पीएम मोदी के पास
भगवंत मान ने कहा कि उन्होंने हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल से कहा कि दोनों मिलकर पीएम के पास चलते हैं। उन्हें पानी की समस्या के बारे में बताते हैं। पीएम किसी और राज्य से हरियाणा के लिए पानी की व्यवस्था कर सकते हैं।
गौरतलब है हरियाणा एसवाईएल नहर के निर्माण को पूरा करने की मांग कर रहा है, ताकि उसे पानी का 35 लाख एकड़ फीट का अपना हिस्सा मिल सके। एसवाईएल मामले में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा के पक्ष में फैसला सुनाया था और केंद्र सरकार को फैसला लागू कराने के लिए मध्यस्थता की जिम्मेदारी सौंपी है।