मध्य प्रदेश के रतलाम में दो बेटियों ने रुढ़ियों को तोड़ते हुए विधि-विधान से अपनी मां का अंतिम संस्कार किया है. पिता की असमय हुई मौत के बाद दोनों बेटियों के लिए उनकी मां ही उनका सबकुछ थीं. दरअसल शहर के गांधीनगर में रहने वाली मीरा मीणा का शनिवार की रात दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था. परिवार में उनकी केवल दो बेटियां हैं. मीरा रेलवे कर्मचारी थीं, जिनकी ड्यूटी डीआरएम ऑफिस में थी.
बताया जा रहा है कि 30 सितंबर को वो ऑफिस से लंच टाइम के लिए घर आईं थी. घर पहुंचने पर उनकी तबियत अचानक बिगड़ गई जिसके बाद उन्हें रतलाम के निजी अस्पताल ले जाया गया. मीरा मीणा की तबियत खराब होने के बारे में भोपाल में रहने वाली उनकी दोनों बेटियों वर्षा और हिना को सूचना दी गई. स्वास्थ्य में सुधार न होने पर डॉक्टरों ने मीरा को इलाज के लिए इंदौर रेफर कर दिया.
लेकिन यहां उन्हें दूसरा अटैक आया और उनका निधन हो गया. बड़ी बेटी वर्षा और छोटी बेटी हिना ने समाजिक रुढ़िवादिता को तोड़ते हुए अपनी मां के पार्थिव शरीर को मुखाग्नि देने का फैसला किया. जो क्रिया कर्म एक बेटा करता है, वो सब इन बेटियों ने पूरे किए. दोनों बेटियां अपनी मां की अर्थी को कांधा देकर शमशान ले गईं, जहां उनका अंतिम संस्कार किया गया.
पति की जगह मिली थी रेलवे में नौकरी
मीरा मीणा के पति प्रकाश मीणा की वर्ष 2003 में मौत हो चुकी थी. उस वक्त उनकी दोनों बेटियां बहुत छोटी थीं. मीरा को अनुकंपा के आधार पर पति की जगह रेलवे में नौकरी मिल गई थी. जिसके बाद उन्होंने रतलाम में अकेले रहकर दोनों बच्चियों की परवरिश की और उन्हें बड़ा किया. मीरा ने दोनों को अच्छी शिक्षा देने के बाद उचित समय पर उनकी शादी की. दोनों बेटियों के अपनी मां को मुखाग्नि देने के फैसले में उनके सगे-संबंधी उनके साथ रहे.