रिर्पोट : गौरव सिंघल, विशेष संवाददाता, दैनिक संवाद,सहारनपुर मंडल।
सहारनपुर (दैनिक संवाद)। अंतर्राष्ट्रीय योग गुरु पद्मश्री स्वामी भारत भूषण ने देश और दुनिया में फैले योगप्रेमी अनुयाइयों को प्रेरित करने के लिए अपने वेरिफाइड फेसबुक पेज और लाखों फॉलोअर्स वाले कू अकाउंट की डीपी बदल कर राष्ट्रध्वज तिरंगे को डीपी बनाया है और आजादी की हीरक जयंती पर मनाए जा रहे अमृत महोत्सव पर आजादी को अक्षुण्ण बनाने के लिए कुछ ऐसे संकल्प लेने का आग्रह शिष्यों और नागरिकों से किया है जिसमें कोई समय या पैसा खर्चे बिना ही हम राष्ट्रप्रेम के संस्कार नई पीढ़ी में रोप सकते हैं।
स्वामी भारत भूषण ने शिष्यों से पूछा कि मैने तिरंगा को अपनी डीपी बनाया है, क्या आप ने भी? मोक्षायतन योग संस्थान के सिंहावलोकन कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने मार्मिक अपील करते हुए कहा कि मेरा देश भारत स्वाधीनता के 75 वर्ष पूरे कर रहा है। स्वाधीनता अमर रहे इस भावना से पूरे साल हमने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया। याद रहे कि हमारे तुच्छ स्वार्थों ने हमेशा देश को कमजोर और विघटित किया। अब हमारे अंगड़ाई लेकर खड़े होने की बारी है। आजादी की हीरक जयंती यानी 75 वर्ष पूरे करने के बाद हमें स्वर्ण जयंती की ओर बढ़ना है।
इसी भाव को प्रकट करने के लिए तपस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार ने हर घर तिरंगा की एक मुहिम शुरू की है जो देशप्रेम का एक जन आंदोलन बनता जा रहा है, जिसका मकसद है कि हर नागरिक यह धारणा बना ले कि देश और देश के तिरंगे की शान हमारे लिए सर्वोपरि है। इसमें कोई संदेह नहीं कि जहां देश हित सबसे ऊपर है वहां किसी प्रकार का अभाव अथवा अलगाववाद या कोई और समस्या है ही नहीं। भारत का तिरंगा जबतक सर्वोपरि है तभी तक धर्म निरपेक्ष भारत है। योग गुरु भारत भूषण ने कहा कि नई पीढ़ी में आजादी के प्रति प्रेम के बीज को रोपने के लिए वह कुछ चीजें जरूरी समझते हैं जिनका पालन करने से देश प्रेम और देश के प्रति दायित्व बोध हर नागरिक के स्वभाव का हिस्सा बन सकता है अन्यथा ये घर-घर तिरंगा भी सिर्फ एक दो दिन का कार्यक्रम मात्र बनकर रह जाएगा।
उन्होंने आहवान किया कि आइए इसके लिए कुछ ऐसे संकल्प ले लें जिनका पालन करने में न तो पैसा खर्च होगा और न ही अतिरिक्त समय! मैं आपसे ऐसा करने के लिए इसलिए कह रहा हूं क्योंकि मैं स्वयं भी ऐसा करता हूं। हर नागरिक प्रतिदिन सुबह जागकर देश की धरती पर पांव रखकर खड़े होते ही दिन की शुरुआत 52 सेकंड के राष्ट्रगान गाने से करें, सभी नागरिक फोन वार्ता हेलो से शुरू करने के बजाय वंदे मातरम अभिवादन से करने और जय हिंद से पूर्ण करने में गौरव महसूस करें, स्वाधीनता संग्राम में हमारे धर्म स्थलों की उल्लेखनीय भूमिका रही है क्योंकि देश के धर्मस्थल हमेशा से सामाजिक आस्था के केंद्र रहे हैं।
राष्ट्रीय धारा से अलग समझ लेने के कारण ही धर्म स्थल व धार्मिक आयोजन सरकार और प्रशासनिक ढांचे के लिए ऐसी समस्या बने रहते हैं कि देश के सशस्त्र बलों की ऊर्जा और राष्ट्रीय धन का यहां शांति बनाए रखने में अपव्यय होता है। हम यह जान ले कि देश और धर्म एक दूसरे से अलग नहीं है, देश है तो धर्म है, अतः अपने सभी धार्मिक स्थलों पर भी हमे राष्ट्रध्वज प्रतिदिन अनिवार्यता लहराना चाहिए। मुझे गर्व है कि मैं स्वयं अपने दिन का आरंभ माता-पिता व गुरुदेव को प्रणाम और धरती पर पांव रखकर खड़े होते ही मात्र 52 सेकंड के राष्ट्रगान से करता हूं। मुझे बहुत अच्छा लगेगा कि मोक्षायतन योग संस्थान और इसके वैश्विक भारत योग परिवार से जुड़े साधक गण भी इन बातों को दैनिक जीवन में अपनाने का संकल्प लें जिससे कि उनसे प्रेरणा लेकर अन्य नागरिक भी इसे अपनी दिनचर्या का हिस्सा बनाएं, क्योंकि मेरा दृढ़ विश्वास है कि जागरूक नागरिक ही देश की शक्ति हैं।