Breaking News

84 हजार 600 वर्ग फिट होगी राममंदिर के नींव की ऊपरी सतह, तेजी से किया जा रहा निर्माण कार्य

राममंदिर को लेकर रामभक्तों में काफी उत्साह है। अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कार्य तेजी से किया जा रहा है। प्राचीन किलों व नदियों पर बनने वाले बड़े बांधों की शैली में तैयार हो रही राम मंदिर नींव की ऊपरी सतह का क्षेत्रफल नीचे की सतह से 35 हजार चार सौ वर्ग फीट कम होगा। इसे परत दर परत एक निश्चित पैमाने के आधार पर कम किया जा रहा है। नींव फिलि‍ंग का कार्य पूरा होने के बाद यह शंक्वाकार दिखेगी। जब नींव की अंतिम लेयर ढल कर पूरी होगी तो इसकी ऊपरी सतह 84 हजार छह सौ वर्ग फीट की ही बचेगी। इसी आधार पर ही तराशे गए पत्थर बिछाए जाएंगे और फिर उसके ऊपर मंदिर आकार लेगा। इन पत्थरों को 12 से 15 फीट ऊंचाई तक लगाया जाना है।

मंदिर की नींव की निचली सतह एक लाख 20 हजार क्षेत्रफल में है। इस सतह की लम्बाई चार सौ फीट तथा चौड़ाई तीन सौ फीट थी, जो ऊपरी सतह तक आते आते 360 फीट लम्बी तथा 235 फीट ही बचेगी। इससे पहले निचली सतह के संपूर्ण क्षेत्रफल में 36 फीट नीचे तक खोदाई कर मलबा निकाला गया। फिर पूरे क्षेत्र में नींव फिलि‍ंग का कार्य शुरू किया गया। अब तक 32 लेयर ढाली जा चुकी हैं। कुल 44-45 लेयर ढाली जानी है। एक लेयर 12 इंच मोटी है, इस पर बाइब्रो रोलर चला कर इसको दो इंच दबाया जाता है। इस तरह एक लेयर की मोटाई दस इंच ही बचती है।

नींव की ढलाई में पत्थर की गिट्टी व पाउडर, कोयले की राख, सीमेंट का निर्धारित अनुपात मिला कर इसी मैटीरियल से नींव की ढलाई की जाती है। विशेषज्ञों का कहना है कि परंपरागत निर्माण की शैली में नींव की निचली सतह ऊपरी सतह से हमेशा ही अधिक होती है। इससे नींव हमेशा मजबूत होती है और बनने वाला भवन कालजयी होता है। गौरतलब है नींव खोदाई के दौरान निर्माण कार्य में लगे इंजीनियरों व अधिकारियों को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था, हालांकि देश के विशेषज्ञों ने इन परेशानियों का हल ढूंढा और राममंदिर निर्माण कार्य निर्बाध गति से किया जा रहा है।