Breaking News

5 साल US में रही ये इंटरनेशनल गोल्फर : अब भारत में पाल रही गायें, और कर रही खेती-किसानी

कहते हैं ना कि भारत की मिट्टी में ही कुछ ऐसा है कि भले ही हम दुनिया में कहीं भी रह ले, यहां की मिट्टी से हमारा लगाव हमेशा ही रहता है। कुछ ऐसा ही लगाव है अमेरिका में 5 साल तक रहीं भारतीय मूल की इंटरनेशनल गोल्फर वैष्णवी सिन्हा (Vaishnavi Sinha) का। जो सालों तक गोल्फ खेलने के बाद अब भारत आकर गौपालन और खेती किसानी कर रही हैं।

जी हां, उत्तर प्रदेश के ग्रेटर नोएडा की रहने वाली वैष्णवी सिन्हा इन दिनों देसी नस्ल की गाय की डेयरी फार्म चलाती है साथ ही जैविक खेती भी करती हैं। पिछले 6 सालों से वह इस दिशा में काम कर रही हैं। आइए बताते हैं कि इस खिलाड़ी ने बारे में….

वैष्णवी का जन्म 6 दिसंबर 1990 को लखनऊ में हुआ। उनके पिता आलोक सिन्हा IAS ऑफिसर हैं। उन्होंने 2008 में डीपीएस नोएडा से 12वीं पास किया। वैष्णवी सिन्हा 10 साल की उम्र से गोल्फ खेल रही हैं।

2009 में वह आगे की पढ़ाई के लिए शिकागों के परड्यू यूनिवर्सिटी चली गई। 5 साल तक अमेरिका में पढ़ाई करने के साथ में वह गोल्फ की प्रैक्टिस भी करती रहीं। इस दौरान उन्होंने भारत और अमेरिका में रहकर उन्होंने कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों का हिस्सा लिया। दो साल तक सिमेट्रा टूर पर खेलने के बाद, वह 2015 में आखिरकार भारत लौट आई।

यहां आकर उनके पिता ने उन्हें कुछ अलग करने की सलह दी। उनके पिता आलोक सिन्हा को देसी गाय से भी बहुत प्रेम था, तो उन्होंने देसी गायों के पालन और इनकी नस्ल को सुधारने पर काम करने की सलाह दी। वैष्णवी को भी अपने पापा का आइडिया बहुत अच्छा लगा।

इसके बाद वैष्णवी के पिता ने नोएडा में 40 एकड़ से ज्यादा की जमीन ली। साल 2017 में उन्होंने 10 गायें खरीदी। जिसमें उनके पास 6 देसी नस्ल-गिर, साहिवाल, थारपारकर, राठी, स्वर्ण कपिला, रेड सिंधी गाय थी। लेकिन आज उनके पास  250 गौवंश हैं।

अपने काम को लेकर वैष्णवी कहती हैं कि, ‘हम गायों को बहुत ध्यान रखते हैं। साथ ही उन्हें समय पर खाना मुहैया कराते हैं। इन जानवरों के दिए गए दूध और अन्य उत्पादों को लोगों को बेचते हैं, दूध में कोई रसायन नहीं मिलाते हैं।’

वैष्णवी बताती है कि ‘हमने गायों को उनके प्राकृतिक आवास में रखने के लिए काफी जगह उपलब्ध कराई है। गायें अपनी सुविधानुसार घूम सकती हैं, मिट्टी या पेड़ की छाया में बैठ सकती हैं। हम गायों और उनके बच्चों को अलग नहीं करते हैं। हम प्रजनन को भी नियंत्रित नहीं करते हैं। गाय और बैल एक दूसरे के साथ स्वतंत्र रूप से रह सकते हैं। यहां तक ​​​​कि प्रजनन भी स्वाभाविक रूप से होता है, जिसमें हमारी ओर से कोई हस्तक्षेप नहीं होता है।’

वैष्णवी ने हमेशा स्वस्थ जीवन को अपना मोटिवेशन माना है। इसे और बढ़ावा देने के लिए उन्होंने जैविक खेती को अपनाया। उन्होंने अपने खेत का नाम शून्य (Shoonya farms) रखा गया, क्योंकि इसमें मिलावट, रसायन या परिरक्षक का उपयोग नहीं किया जाता है।

जैविक खेती के लिए भी गायों से जो भी कचरा निकलता है उसका उपयोग फसलों के लिए जैव-उर्वरक के रूप में किया जाता है। कचरे का उपयोग बिजली पैदा करने के लिए किया जाता है। सब्जियों, फलों और औषधीय पौधों सहित विभिन्न प्रकार की फसलें उगाई जाती हैं।

वैष्णवी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहती हैं और एक बेहतर भारत बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। उनका मानना ​​है कि लोगों को जीने और खाने के पारंपरिक और स्वस्थ तरीकों की ओर लौटना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ, पौष्टिक और शुद्ध खाना आवश्यक है।वैष्णवी ज्यादा से ज्यादा लोगों तक पहुंचना चाहती हैं और एक बेहतर भारत बनाने की पूरी कोशिश कर रही है। उनका मानना ​​है कि लोगों को जीने और खाने के पारंपरिक और स्वस्थ तरीकों की ओर लौटना चाहिए। स्वस्थ जीवन जीने के लिए स्वस्थ, पौष्टिक और शुद्ध खाना आवश्यक है।