पीएफ ऑफिस में 21 करोड़ रुपये से भी अधिक के एक फ्रॉड का मामला पकड़ में आया है। इस खबर के बाद कर्मचारी भविष्य निधि संगठन में हड़कंप मचा हुआ है। ईपीएफओ की एक आंतरिक जांच के अनुसार उसके कांदीवली ऑफिस के 37 साल के एक क्लर्क ने 817 बैंक अकाउंट्स का इस्तेमाल करके 21.5 करोड़ रुपये का गबन किया। इनमें से अधिकांश अकाउंट प्रवासी मजदूरों के थे। क्लर्क ने उनकी तरफ से पीएफ राशि का दावा किया। ईपीएफओ ने इस मामले में मुम्बई के कांदीवली ऑफिस के 6 कर्मचारियों को निलम्बित कर दिया है। मजदूरों की खून-पसीने की कमाई को हड़पने का ताजा वाकया मुम्बई का है। इसमें कर्मचारी भविष्य निधि संगठन के ही कुछ कर्मचारियों ने मिल कर पीएफ सब्सक्राइबर्स के 21 करोड़ रुपये से भी अधिक निकाले।
हालांकि ये पकड़े गए और दोषी कर्मचारियों के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जा रही है। यह नहीं, अब जांच का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। अब इसके सभी फील्ड ऑफिसों में जांच होगी कि कोरोना काल में कर्मचारियों के बदले किसी और ने तो उनके पैसे नहीं निकाल लिए। खबरों के अनुसार ईपीएफओ ने देशभर में अपने सभी फील्ड ऑफिसेज में हाल में हुए सभी तरह के ट्रांजैक्शन की जांच कराने का फैसला किया है। इसमें खासकर कोविड-19 विदड्रॉल की जांच होगी। महामारी के कारण बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गए थे और उनकी इनकम प्रभावित हुई थी। इससे राहत देने के लिए कर्मचारियों को अपनी जमा राशि निकालने की अनुमति दी गई थी।
कोरोना वायरस महामारी के चलते लॉकडाउन होने और लोगों को कैश की किल्लत से जूझते हुए देखने के बाद मोदी सरकार ने ईपीएफ अकाउंट होल्डर्स को एक खास सुविधा दी थी। इस सुविधा के तहत लोग अपने पीएफ खाते से एक तय रकम निकाल सकते हैं, ताकि अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा कर सकें। EPF खाते से निकाली जाने वाली राशि अंशधारक के तीन महीने के मूल वेतन और महंगाई भत्ते के योग या उसके खाते में जमा हुई कुल राशि के तीन चौथाई (75 फीसदी) में से जो भी कम हो, उससे अधिक नहीं हो सकती है। कोरोना काल में काफी लोगों की नौकरी गई है। इस दौरान ढेरों कर्मचारियों को बिना वेतन की छुट्टी पर भेजा गया। इस वजह से उन्हें खाने पीने की दिक्कत नहीं, इसलिए सरकार ने पीएफ खाते से कुछ रकम निकालने की सुविधा दी थी। इसी सुविधा का दुरूपयोग कर रकम की निकासी की गई है।