हैदराबाद के एक निजी अस्पताल द्वारा जेलस्टिक सीजर्स (Gelastic Seizures) से पीड़ित एक 3 वर्षीय बच्ची की एक दुर्लभ सर्जरी की गई, जिससे उसे अचानक हंसी आती थी. इस बीमारी में बिना किसी सही कारण या स्थिति के मरीज को हंसी आती है. गेलैस्टिक सीजर्स आमतौर पर बच्चों के अंदर देखने को मिलते हैं.
यहां तक कि कभी-कभी नवजात बच्चों में भी यह मौजूद होते हैं. इसका लक्षण देखने को तब मिलता है, जब बच्चा बिना किसी कारण के हंसने लग जाए. स्टडी से पता चलता है कि ये बहुत दुर्लभ हैं और हर 2,00,000 बच्चों में से केवल एक ही इस बीमारी से पीड़ित है.
बच्ची के सिर में थी दुर्लभ बीमारी
ग्रेस के माता-पिता, जो एक ऐसी बीमारी के इलाज के लिए अस्पतालों के चक्कर लगाते रहे, जिसका परिणाम आना मुश्किल था. वह बाद में एलबी नगर के कामिनेनी अस्पताल (Kamineni Hospital LB Nagar) पहुंचे. जहां बच्चे की तब जांच की गई, जब उसे असामान्य हंसी आई और पता चला कि उसे जिल्द की सूजन है. डॉक्टरों ने हाइपोथैलेमस में एक सब-सेंटीमीटर घाव पाया. फिर इस बीमारी के इलाज में जुट गए और दवाओं पर काम करना शुरू किया.
बच्ची को दौरे आने पर डर जाते थे माता-पिता
डॉक्टरों के अनुसार, छह महीने पहले, बच्चे को एक महीने में सिर्फ एक बार दौरे पड़ते थे और यह 10 सेकंड तक रहता था, लेकिन हाल ही में फ्रेवेंसी बढ़कर एक दिन में 5-6 बार और दौरे की अवधि एक मिनट हो गई. उसने बाईं आंख में भेंगापन होने लगा.
एक न्यूरोसर्जन, न्यूरोफिजिशियन, बाल रोग विशेषज्ञ और एंडोक्रिनोलॉजिस्ट की एक टीम ने बच्चे की जांच की. उन्होंने हाई एंड 3T MRI में इमेजिंग (MRI ब्रेन प्लेन और कंट्रास्ट) टेस्ट कराया, जिसमें वेसेल्स और नसों पर सड़नपन के साथ हाइपोथैलेमस से फैले बड़े घाव को दिखाया गया.
डॉक्टरों ने कुछ ऐसे किया इलाज
कामिनेनी हॉस्पिटल्स के मिनिमल एक्सेस ब्रेन एंड स्पाइन सर्जन व कंसल्टेंट न्यूरोसर्जन डॉ. रमेश ने कहा, ‘बच्चे के माता-पिता को स्थिति, बीमारी की दुर्लभता, सर्जरी की आवश्यकता और इसमें शामिल जोखिम के बारे में बताया गया.
माता-पिता को उपचार के अन्य तौर-तरीकों के बारे में बताया गया. पूरी तरह से परामर्श के बाद, बच्चे को ट्यूमर निकालने के लिए ले जाया गया. सर्जरी के बाद दौरे की फ्रीक्वेंसी में काफी कमी आई है.’ इस इलाज के बाद दुनियाभर में भारत के डॉक्टरों की वाहवाही हो रही है.