नए साल का आगाज (new year start) हो गया है। बीते साल के राजनीतिक परिदृश्य (political landscape) की बात करें तो सत्ताधारी भाजपा के लिए मिलाजुला फायदे नुकसान का साल रहा। हालांकि 2023 भाजपा (BJP) के लिए बेहद अहम है। यही साल आने वाले 2024 के आम चुनाव (2024 General Elections) की भूमिका तैयार करने वाला है। इस वर्ष काफी हद तक तय हो जाएगा कि 2024 में तीसरी बार नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) प्रधानमंत्री (Prime Minister) बनेंगे या नहीं। भाजपा और पीएम मोदी के आगे चुनौतियां कम नहीं हैं। विपक्ष एकजुट होने के प्रयास में लगा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (Mamata Banerjee) भाजपा के खिलाफ ‘खेला होबे’ का नारा दे चुकी हैं। दूसरी तरफ तेलंगाना में के चंद्रशेखऱ राव लगातार अपने तीसरे कार्यकाल के लिए प्रयास में जुटे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी भी लॉन्च की है।
बीता हुआ साल आम आदमी पार्टी के लिए भी फायदेमंद साबित हुआ। आप ने पंजाब में बड़ी जीत दर्ज करते हुए सरकार बना ली। तो वहीं गुजरात में भी पांच सीटें जीतकर राष्ट्रीय पार्टी बन गई। इसके अलावा राष्ट्रीय राजधानी में एमसीडी चुनाव में आम आदमी पार्टी ने भाजपा का 15 साल का राज खत्म कर दिया। अब 2023 में 9 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं जो कि सियासत के लिए बेहद अहम साबित होने वाले हैं। यूं कह सकते हैं कि 2024 में पहुंचने के लिए 2023 आखिरी दरवाजा है जिसमें 9 ताले लगे हैं। अब देखना है कि कौन सा दल कितने ताले खोल पाता है।
मध्य प्रदेश
2018 में कांग्रेस ने मध्य प्रदेश की कमान भाजपा से छीन ली थी। हालांकि मुख्यमंत्री पद को लेकर कांग्रेस में कलह शुरू हुई जिसका फायदा उठाकर भाजपा ने सरकार बना ली। 15 महीने बाद ही ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बगावत कर दी और 23 विधायकों के साथ भाजपा में आ गए। शिवराज सिंह चौहान एक बार फिर मुख्यमंत्री बन गए। अब साल के आखिरी में विधानसभा चुनाव होने वाला है।
राजस्थान
राजस्थान का सियासी इतिहास रहा है कि कोई भी दल दो बार लगातार सरकार नहीं बना पाया। 2018 में कांग्रेस ने वसुंधरा राजे की सरकार को बाहर का रास्ता दिखा दिया था। इसके बाद अशोक गहलोत मुख्यमंत्री बने। हालांकि राजस्थान में युवा नेता सचिन पायलट और गहलोत के बीच गहमागहमी जारी रहती है। 2020 में तो स्थिति यहां तक पहुंच गई थी कि पायलट के समर्थक राजभवन के बाहर धऱने पर बैठ गए थे। इस साल दिसंबर में राजस्थान में भी चुनाव होना है।
छत्तीसगढ़
साल 2018 में कांग्रेस ने भाजपा को हरा दिया था और 90 सीटों वाली विधानसभा में 68 पर कब्जा कर लिया था। इससे पहले 15 साल तक भाजपा का शासन था। कांग्रेस हाई कमान ने भूपेश बघेल को मुख्यमंत्री बनाया। यहां भी कांग्रेस के अंदर कलह देखने को मिली। मुख्यमंत्री और स्वास्थ्यमंत्री टीएस सिंह देव के बीच काफी तनातनी चल रही थी।
कर्नाटक
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने शनिवार को कहा कि कर्नाटक ही भाजपा के लिए दक्षिण का गेटवे है। 2019 में यहां भाजपा ने कांग्रेस-जेडीएस सरकार गिरने के बाद अपनी सरकार बनाई थी। हालांकि अब फिर से सत्ता में वापसी करना भाजपा के लिए चुनौती है। कांग्रेस भी मल्लिकार्जुन खड़गे के नेतृत्व में कर्नाटक में सरकार बनाने का प्लान तैयार कर रही है।
त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम
2018 में त्रिपुरा में भाजपा ने लेफ्ट को हटाकर अपनी सरकार बनाई थी। इसके बाद बिप्लव देव को मुख्यमंत्री बनाया गया। 15 मई को देव ने इस्तीफा दे दिया और इसके बाद कमान मानिक साहा को दे दी गई। मेघालय में 2018 में कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी लेकिन नेशनल पीपल्स पार्टी को साथ लेकर दो सीट पाने वाली भाजपा सत्ता पर काबिज हो गई थी। नागालैंड की बात करें तो एनडीपीपी और भापा ने 29 सीटें जीती थीं और सरकार बनाईथी। इस साल 26 में से 21 एनपीएफ विधायक भी सत्ताधारी दल की ओर आ गए। वहीं 40 विधानसभा सीटों वाले मिजोरम में मिजो नेशनल फ्रंट की सरकार है जो कि एनडीए का ही हिस्सा है। हालांकि राज्य में यह पार्टी अकेले ही सरकार चला रही है।