सरकार ने सोमवार को लोकसभा में बताया कि आईआईटी (IITs), आईआईएम (IIMs), केंद्रीय विश्वविद्यालयों (Central Universities), आईईएससी (IESC) एवं अन्य उच्चतर शिक्षण संस्थानों (other higher educational institutions) में वर्ष 2014 से 2021 के दौरान 122 छात्रों ने आत्महत्या की। लोकसभा में एकेपी चिनराज (AKP Chinaraj) के प्रश्न के लिखित उत्तर में शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान (Education Minister Dharmendra Pradhan) ने यह जानकारी दी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि वर्ष 2014 से 2021 के दौरान इन उच्चतर शैक्षणिक संस्थानों में 122 छात्रों ने आत्महत्या की, जिनमें से अनुसूचित जाति वर्ग से 24 छात्र, अनुसूचित जनजाति वर्ग से 3 छात्र, अन्य पिछड़ा वर्ग से 41 छात्र तथा अल्पसंख्यक वर्ग से तीन छात्र शामिल हैं। इस अवधि में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) में 34 छात्र, भारतीय प्रबंध संस्थान (आईईएम) में पांच छात्र, भारतीय विज्ञान संस्थान (आईईएससी) एवं भारतीय विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान संस्थान में 9 छात्रों ने आत्महत्या की। साथ ही केंद्रीय विश्वविद्यालयों में 37 छात्र तथा भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान में 4 छात्र, राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थानों में 30 छात्रों द्वारा आत्महत्या की घटनाएं सामने आई हैं।
प्रधान ने बताया कि छात्रों का उत्पीड़न एवं भेदभाव संबंधी घटनाओं को रोकने के लिए भारत सरकार और विश्विद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) द्वारा कई पहल की गई हैं। उन्होंने कहा कि छात्रों के हितों की रक्षा के लिए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (छात्रों की शिकायत का निवारण) विनियम, 2019 बनाया है।
शिक्षा मंत्री के मुताबिक, इसके अतिरिक्त मंत्रालय ने शैक्षणिक तनाव को कम करने हेतु छात्रों के लिए उनके अनुकूल पठन पाठन, क्षेत्रीय भाषाओं में तकनीक शिक्षा की शुरुआत जैसे कई कदम उठाए हैं। उन्होंने कहा कि मनोदर्पण नाम से भारत सरकार की पहल के अंतर्गत कोविड महामारी के दौरान छात्रों, शिक्षकों एवं परिवारों के मानसिक और भावनात्मक कल्याण के लिए मनोवैज्ञानिक सहायोग प्रदान करने के लिए विस्तृत श्रृंखला शुरू की गई।