कहते हैं जोड़ी ऊपर वाला मिलाता है। बगैर उसकी मर्जी के पत्ता भी नहीं हिलता। जब जिसका लिखा होता है वह काम तभी होता है फिर चाहे किसी के मिलने-मिलाने की बात हो या फिर किसी शोहरत को हासिल करने की। यूपी के महराजगंज में भी कुछ ऐसा ही हुआ था। यहां 20 साल पहले एक व्यक्ति की पत्नी की मौत हो गई थी। इसके बाद लोगों के कहने पर उस व्यक्ति ने दूसरी शादी कर ली। महिला नेपाल की रहने वाली थी।
शादी के तीन महीने बाद ही महिला गर्भवती हुई और फिर वह अपने मायके चली गई। इस दौरान दोनों के बीच किसी बात को लेकर मनमुटाव हुआ तो महिला ने वापस ससुराल में कदम नहीं रखा। 20 साल बाद जब दोनों मिले तो उसका बेटा भी बड़ा हो चुका था। बेटा भी पिता को देखकर भावुक हो गया और गले लगा। उधर पति-पत्नी ने भी एक-दूसरे को माला पहनाया। इसके बाद पति ने पत्नी की मांग में सिंदूर भरकर गले-शिकवे दूर किए। बीस साल बाद मिलन की इस घड़ी पर परिवार के सदस्यों के चेहरे पर मुस्कान की लहर दौड़ गई।
पति-पत्नी के जुदाई व मिलन की यह कहानी पड़ोसी जिला कुशीनगर के छितौनी से शुरू हुई। छितौनी के रहने वाले साठ वर्षीय रामजस मद्धेशिया की पहली पत्नी की मौत हो जाने पर परिवार व रिश्तेदारों ने उनको दूसरी शादी की सलाह दी थी। पहली पत्नी से रामजस की दो औलाद थीं। एक बेटा और एक बेटी। लोगों के कहने के बाद रामजस ने शादी के लिए हामी भरी। नेपाल के कुसुम्हा की रहने वाली एक महिला से दूसरी शादी की।
महिला भी अपने पहले पति से अलग रहती थी। शादी के तीन माह बाद दूसरी पत्नी जब गर्भवती हुई तो वह मायके चली गई। दो-तीन बार रामजस ससुराल गए, लेकिन किसी बात को लेकर दोनों में नाराजगी इस कदर बढ़ी कि बीस साल तक दोनों नहीं मिले। पर, इस दौरान दोनों के मन में एक-दूसरे के लिए प्यार सम्मान कम नहीं हुआ। बीते खिचड़ी के मेले में रामजस के छोटे भाई की बहू नेपाल के गोपलापुर में गई। वह महराजगंज की रहने वाली थी।
नेपाल के मेले में उसकी बड़ी सास मिल गई। परिचय होने के बाद दोनों एक-दूसरे के बारे में पूछने लगी। इसी बीच रामजस की पत्नी उनका भी हाल पूछने लगी। यह देख छोटी बहू के मन में आस जगी कि थोड़ा प्रयास किया जाए तो इन दोनों के बीच का मनमुटाव दूर हो जाएगा। छोटी बहू ने दोनों को फिर से मिलाने का प्रयास शुरू किया। रामजस की दूसरी पत्नी का बेटा भी बड़ा हो गया था। उसे पढ़ा कर ग्रेजुएट बना दी थी। दोनों परिवार ने इस प्रयास को अपना साथ दिया।
छोटी बहू की कोशिश रंग लाई। बीते मंगलवार को रामजस व उनकी पत्नी एक-दूसरे से साठ वर्ष के उम्र में मिले। जब उनकी शादी हुई थी तो उस समय रामजस की उम्र चालीस साल थी। बेटे के साथ आई पत्नी को देख रामजस भावुक हो गए।। माला पहनाकर उसे गले लगाया। यह देख सभी की आंखों से खुशी के आंसू छलक उठे। सभी लोग छोटी बहू के प्रयास की तारीफ कर रहे थे। रामजस की पहली पत्नी के बच्चों को भी कोई ऐतराज नहीं हुआ। बड़ा बेटा दिव्यांग है। उसकी शादी हो चुकी है। बेटी की भी शादी हो चुकी है। दूसरी पत्नी का बेटा भी पिता के गले से लिपट गया।