उत्तर प्रदेश के ललितपुर निवासी विष्णु तिवारी को हाई कोर्ट ने 20 साल बाद रेप और हरिजन एक्ट के मामले में निर्दोष साबित किया है. विष्णु तिवारी को आजीवन कारावास की सजा हुई थी. विष्णु तिवारी के निर्दोष साबित होने पर परिवार को संतोष तो है लेकिन चेहरे पर वो खुशी नहीं है जो होनी चाहिए थी. विष्णु तिवारी पर जब हरिजन एक्ट और रेप का मामला महरौनी कोतवाली में दर्ज किया गया था उस समय विष्णु की उम्र मात्र 18 वर्ष थी. जिसके बाद सेशन कोर्ट द्वारा पुलिस की विवेचना रिपोर्ट के आधार पर वर्ष 2000 में आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. विष्णु तिवारी के घर में विष्णु सहित 5 भाई और उनके माता पिता थे, निर्दोष विष्णु के जेल जाने के बाद से उनका पूरा परिवार बर्बाद हो गया.
ये पूरा मामला ललितपुर जिले के महरौनी कोतवाली अंतर्गत सिलावन ग्राम का है. पिता रामेश्वर प्रसाद तिवारी सामाजिक रूप से तिरस्कार मिलने का सदमा झेल नहीं सके और उन्हें लकवा लग गया जिसके बाद उनकी मौत हो गई. पिता की मौत के बाद विष्णु के बड़े भाई दिनेश तिवारी की भी मौत हो गई. वहीं, सामाजिक तिरस्कार ने पूरे परिवार को बर्बाद कर दिया. पांच भाइयों में दिनेश के बाद रामकिशोर तिवारी की हार्ट अटैक से मौत हो गई. उनकी मां भी निर्दोष विष्णु को याद करते-करते भगवान को प्यारी हो गई लेकिन विष्णु के परिवार में चार लोगों की मौत पर उन्हें एक की भी अर्थी में आने के लिए बेल नहीं मिली.
विष्णु तिवारी अपने माता पिता और अपने दो भाई के अंतिम दर्शन तक नहीं कर सका. आज 20 साल बाद जब विष्णु को निर्दोष साबित किया गया तो न्याय और कानून को लेकर उनके परिवार में बचे छोटे भाई महादेव तिवारी, भतीजे सतेंद्र तिवारी और विधवा भाभी सुषमा तिवारी सवाल उठा रही हैं, कि क्या कानून, सरकार न्यायपालिका उनके बर्बाद हो चुके परिवार के वो 20 साल वापस लौटा सकती है? निर्दोष विष्णु तिवारी के मां-बाप और 2 भाइयों को लौटा सकती है जिनका अंतिम समय में उसे चेहरा भी देखने को नसीब नहीं हो सका. कानूनी प्रक्रिया का ये वो काला सच है जो 20 साल तक इस तिवारी परिवार ने भुगता. जानकारी के मुताबिक, विष्णु तिवारी निर्दोष था सिर्फ गाय को बांधने के लिये रास्ते में जाते समय आपसी रंजिश की वजह से एक विवाद हो गया. उस पर हरिजन एक्ट के साथ-साथ रेप का मुकद्दमा भी दर्ज कर दिया गया.
आरोप है कि तत्कालीन अधिकारी ने झूठी विवेचना दिखाकर जेल भेजा था और फिर विष्णु तिवारी को आजीवन कारावास की सजा हो गई. लेकिन विष्णु तिवारी ने अपनी हिम्मत नहीं हारी. उसने आखिरी सांस तक अपने आप को निर्दोष साबित करने के लिये लड़ाई लड़ने की ठानी जिसमें उसके परिवार की लगभग 5 एकड़ जमीन भी बिक चुकी है. इसके बाद अब वह निर्दोष तो साबित हो गया लेकिन 20 साल जेल में रहने का दर्द, न्यायपालिका में लगी देरी और कानून व्यवस्था पर बड़े सवाल जरूर खड़े कर गया है. जहां एक सेलिब्रिटी को थोड़ा सा बुखार आने पर पर बेल मिल जाती है. वहीं, दूसरी तस्वीर और सच यह भी है कि एक गरीब को अपने मां बाप और भाइयों की अर्थी में भी शामिल होना नसीब नहीं होता है. हाई कोर्ट ने विष्णु को निर्दोष करार दे दिया. जल्द ही वह आगरा जेल से अपने घर भी लौट आयेगा लेकिन वो 20 साल कभी वापस नहीं आयेंगे.