ज्योतिष शास्त्र के अनुसार इस साल यानि 2021 में नागपंचमी का त्योहार 13 अगस्त को पड़ रहा है। नागपंचमी का त्योहार नागों और सर्पों की पूजा का पर्व है। सनातन धर्म में नाग को देवता माना गया है, इसके पीछे कई मान्यताएं हैं, जैसे कि शेषनाग के फन पर यह पृथ्वी टिकी है। भगवान विष्णु क्षीरसागर में शेषनाग की शैय्या पर सोते हैं। भोलेनाथ के गले में सर्पों का हार है और भगवान कृष्ण के जन्म पर नाग की सहायता से ही वासुदेव जी ने यमुना नदी पार की थी। यही नहीं, समुद्रमंथन के समय देवताओं की मदद भी वासुकी नाग ने ही की थी। इसीलिए नागपंचमी के दिन नाग देवता का आभार व्यक्त जताया जाता है।
नागपंचमी मनाने का एक अन्य कारण यह भी है कि बारिश के मौसम में सांपों के बिलों में पानी ज्यादा भर जाने से वो बिल छोड़कर अन्य सुरक्षित स्थान की खोज में निकलते हैं। उनकी रक्षा और सर्पदंश के भय से मुक्ति पाने के लिए भारतीय संस्कृति में नागपंचमी के दिन नाग के पूजन की परम्परा शुरू हुई। वहीं बात की जाये नागों को दूध पिलाने की, तो विशेषज्ञ बताते हैं कि सांप के विष से कई तरह की कारगर दवायें बनायी जाती हैं, जब सांप दूध पीता है तो उनके विष ग्रंथि में असरदार परिवर्तन होता है। इस साल नागपंचमी की तिथि 12 अगस्त को दोपहर 3.24 बजे से शुरू हो रही है और अगले दिन यानि 13 अगस्त दोपहर 1.42 बजे समाप्त होगी। नागपंचमी पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 5.49 बजे से 8.28 बजे तक है। इसके अनुसार आपको नागपंचमी पूजा के लिए 2 घंटे 39 मिनट का समय मिलेगा।
जिन लोगों के राहु-केतु कष्टकारी हैं अथवा जिनकी राहु की महादशा चल रही है, उनके लिए नागपंचमी के दिन विशेष पूजन सर्वकष्ट निवारण के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होता है। नागपंचमी के दिन नाग महाराज का पूजन करने से नाना प्रकार के कष्ट खत्म हो जाते हैं, इस दिन जिस व्यक्ति को राहु-केतु की दशा या महादशा चल रही हो, कालसर्प दोष हो उस जातक को प्रसिद्ध शिवलिंग पर नाग-नागिन का चांदी अथवा पंचधातु का जोड़ा चढ़ाना चाहिए। समस्त दोषों से मुक्ति मिल जाती है।