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12वीं पास युवक ने बना दी देसी फरारी, उद्योगपति आनंद महिंद्रा भी हुए मुरीद

कौन कहता है आसमां में सुराख नहीं होता एक पत्थर तबियत से उछाल के तो देखो. इस लाइन को सार्थक करते है बस्ती के हर्रैया तहसील के रौताइनपुर निवासी 12वीं पास शिवपूजन. शिवपूजन वैसे तो बचपन से ही इंजीनियर बनना चाहता थे. लेकिन घर की आर्थिक तंगी उनके रास्ते की रुकावट बन गई. शिवपूजन घर की तंगी को कम करने के लिए रंगाई-पुताई का काम करने लगे. फिर वह दिवारों पर चित्रकारी व राइटिंग का काम करने लगे.

लेकिन उनका इसमें भी मन नहीं लगा व काम के हिसाब से कमाई भी नहीं हो रही थी. लिहाजा वह वेल्डिंग का काम करने लगे. लेकिन उन्होंने अपने जज़्बे को कम नहीं होने दिया और बना डाली देशी फरारी. जिसकी तारीफ खुद महिंद्रा ग्रुप के सीईओ और देश के माने जाने उद्योगपति आनंद महिंद्रा कर चुके हैं. यहीं से शिवपूजन का दिमाग कुछ नया करने की तरफ बढ़ने लगा.शिवपूजन पहले भी तीन-चार गाड़ियां बना चुके है जो इंजन के सहारे चलती थी और उसमें पेट्रोल-डीजल का इस्तेमाल होता था. जिससे वातावरण भी प्रदूषित होता था. लिहाजा वह वातावरण फ्रेंडली गाड़ी बनाने पे विचार करने लगे और जिसमें ज़्यादा समान भी रखा जा सके. इसलिए उन्होंने बैटरी चलित देशी फरारी बना डाली.

1.5 लाख में बना दी देसी फरारी
शिवपूजन को रेसिंग कार काफी पसंद है. वह उसी टाइप की गाड़ी बनाने लगे. उनको बैटरी चलित गाड़ी बनाने का आईडिया बैटरी रिक्से को देख के आया. जिसमें दो बैटरी एक मोटर व लोहे की पाइप लगी है. शिवपूजन ने बताया की इस गाड़ी को बनाने में उनका कुल 1.5 लाख रुपए का खर्च आया था जो उन्होंने अपने भाइयों के द्वारा दिए पैसे की मदद से बनाए है.

देशी फरारी से दूध बेचने का काम
शिवपूजन ने बताया कि उनकी यह फरारी एक बार चार्ज होने पर 80 किलोमीटर चलती है. जिसको 60 किलोमीटर प्रति घंटे की स्पीड से दौड़ाया भी जा सकता है. उसमें लगभग 5 कुंटल तक के भार भी रखे जा सकते है. शिवपूजन इस देशी फरारी का इस्तेमाल दूध बेचने के लिए करते है. वह इसमें लगभग डेढ़ कुंटल दूध लादकर हर रोज लगभग 25 km दूर बस्ती शहर ले जाते है.

महिंद्रा ग्रुप से मिला प्रमाण पत्र
भले ही देश के बड़े उद्योगपति और महिंद्रा ग्रूप के सीईओ आनन्द महिंद्रा बकायदा ट्वीट करके मिलने की इच्छा ज़ाहिर कर चुके हों. लेकिन सच्चाई यह है की उनकी यह इच्छा सिर्फ ट्विटर तक ही सीमित होकर रह गई. शिवपूजन ने बताया की आनंद महिंद्रा की तरफ से मुझे पर्सनली कभी कोई कॉन्टैक्ट नहीं किया गया. महिंद्रा ग्रुप से कुछ लोग आए थे वो मुझे प्रमाण पत्र देकर चले गए.