तेलंगाना सरकार ने 11वीं कक्षा के फेल हो चुके स्टूडेंट्स को न्यूनतम उत्तीर्ण अंक देकर उत्तीर्ण करने का फैसला किया. इंटरमीडिएट प्रथम वर्ष (Intermediate First Year ) के केवल 49 प्रतिशत छात्रों की परीक्षा में उत्तीर्ण हुए थे. जिसके बाद अफसल हुए स्टूडेंट्स ने विरोध करना शुरू कर दिया था. स्टूडेंट्स ने मांग की कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए असफल हुए स्टूडेंट्स के प्रति सहानुभूति बरतनी चाहिए और परीक्षा में पास करने के बारे में विचार करना चाहिए. इसके बाद राज्य की शिक्षा मंत्री पी सबिता इंद्रा रेड्डी ने कहा कि 11वीं में असफल हुए स्टूडेंट्स को कम से कम नंबर देते हुए पास कर दिया जाएगा.
राज्य की शिक्षा मंत्री पी सबिता इंद्रा रेड्डी ने कहा कि 4,59,242 परीक्षा में शामिल हुए थे. उसमें से 2,24,000 ने परीक्षा उत्तीर्ण की जो कि 49 प्रतिशत थी. यदि प्रत्येक अनुत्तीर्ण छात्र में 30 अंक जोड़ दिए जाते हैं, तो भी लगभग 83,000 छात्र परीक्षा उत्तीर्ण करेंगे, जबकि लगभग 1,50,000 छात्र अनुत्तीर्ण हो जाएंगे. उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने निर्देश दिया है कि छात्रों को परिणाम के बारे में चिंतित नहीं होना चाहिए क्योंकि इंटरमीडिएट द्वितीय वर्ष (Intermediate Second) Year की परीक्षाएं भी नजदीक हैं.
चूंकि इंटरमीडिएट द्वितीय वर्ष (12 वीं कक्षा) बहुत महत्वपूर्ण है, सीएम ने निर्देश दिया कि सभी प्रथम वर्ष के छात्रों को 35 के न्यूनतम उत्तीर्ण अंक देकर (Minimum Marks) उत्तीर्ण किया जाए. हम सभी को न्यूनतम अंक दे रहे हैं और उन्हें परीक्षा पास कर रहे हैं. हालांकि, उन्होंने छात्रों से अपने माता-पिता के सपनों को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत करने और परीक्षाओं में विफल न होने की अपील की है. उन्होंने कहा कि यह निर्णय छात्रों के भविष्य के हित में लिया गया है और यह देखने के लिए कि छात्रों को परीक्षा परिणाम पर मनोवैज्ञानिक दबाव महसूस न हो क्योंकि द्वितीय वर्ष की परीक्षाएं भी नजदीक हैं.