कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत दिए जाने के मामले को लेकर कर्नाटक उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाने वाली मुस्लिम छात्राओं ने मंगलवार को कहा कि वे बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगी और ‘इंसाफ’ मिलने तक कानूनी तौर पर लड़ेंगी। उच्च न्यायालय ने उनकी याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया। छात्राओं ने फैसले को ‘असंवैधानिक’ करार दिया है। एक छात्रा ने इस तटीय शहर में एक प्रेस वार्ता में कहा, “ हमने कक्षाओं में हिजाब पहनने की इजाजत के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।
आदेश हमारे खिलाफ आया है। हम बिना हिजाब के कॉलेज नहीं जाएंगे, लेकिन इसके लिए लड़ेंगे। हम सभी कानूनी तरीकों का इस्तेमाल करने की कोशिश करेंगे। हम इंसाफ और अपने अधिकारों के लिए लड़ेंगे।” छात्रा ने कहा, “ आज आया फैसला असंवैधानिक है… संविधान हमें हमारे मज़हब का पालन करने का अधिकार देता है और यह भी अधिकार देता है कि मैं कुछ भी पहन सकती हूं।”
उन्होंने पांच फरवरी के सरकार के आदेश का भी हवाला दिया जो परिसर में शांति, सद्भाव और लोक व्यवस्था को बाधित करने वाले किसी भी तरह के कपड़े को पहनने पर रोक लगाता है। उनके मुताबिक, परिपत्र उनके उच्च न्यायालय का रुख करने के बाद आया। सरकार पर परिपत्र जारी करके इसे एक मुद्दा बनाने का आरोप लगाते हुए छात्रा ने इल्ज़ाम लगाया कि यह दबाव में किया गया था। छात्रा का आरोप है, “ उन्होंने इसका कितना मसला बना दिया। या अल्लाह। उन्होंने इसे सभी कॉलेजों का मसला बना दिया। वे सभी लड़कियों को शिक्षा से महरूम कर रहे हैं। यह दवाब में किया गया था।” उन्होंने फिर कहा कि हिजाब उनके मज़हब का जरूरी हिस्सा है।