कर्नाटक में इस समय स्कूल-कॉलेज में छात्राओं के हिजाब पहनने पर विवाद चल रहा है. कहा जा रहा है कि स्कूल में हिजाब पहनने की अनुमित नहीं दी जा सकती. कुछ जगहों पर छात्रों द्वार भगवा स्कार्फ पहनकर इसका विरोध भी किया जा रहा है. अब एक तरफ इस बवाल से मुस्लिम छात्राएं परेशान हैं तो वहीं दूसरी तरफ स्कूल में शिक्षा भी प्रभावित हो गई है.
इस विवाद के बीच कर्नाटक सरकार ने बड़ा फैसला लेते हुए Karnataka Education Act-1983 की धारा 133 लागू कर दी है. इस एक्ट के तहत स्कूल में सभी को समान यूनिफॉर्म पहननी होगी. निजी स्कूल अपनी खुद की यूनिफॉर्म चुन सकते हैं तो वहां सरकारी स्कूलों में भी एक तय यूनिफॉर्म पहनकर ही आना होगा. अब इस आदेश के बाद हिजाब विवाद और ज्यादा बढ़ गया है.
मुस्लिम छात्राएं क्या कह रही हैं?
मुस्लिम छात्राओं का कहना है कि वे पहले से हिजाब पहन पढ़ाई करती आ रही हैं. पहले कभी इस पर कोई विवाद नहीं था. यहां तक कहा गया है कि उनके घर की दूसरी महिलाओं ने भी ऐसे ही पढ़ाई की है, लेकिन अब हिजाब पर यूं बवाल काटा जा रहा है. दूसरी तरफ एक तबका ऐसा है जो मानता है कि शिक्षा का यूनिवॉर्म से कोई लेना-देना नहीं है और सभी को स्कूल मे एक समान ही रहना चाहिए.
इस विवाद पर बीजेपी के सीटी रवि ने कहा है कि स्कूलों में सिर्फ स्कूल यूनिफॉर्म ही अनिवार्य रहनी चाहिए. कांग्रेस जानबूझकर छात्रों के बीच भी खाई पैदा करने का काम कर रही है. मेरी छात्रों से अपील है कि वे अपनी शिक्षा पर ध्यान दें. शिक्षा ही उनका भविष्य तय करेगी, कोई यूनिफॉर्म नहीं. लेकिन बीजेपी नेता से अलग सोचती हैं कांग्रेस विधायक कनीज फातिमा.
ऐसे हुई राजनीति शुरू
वे लिखती हैं कि अगर मैं हिजाब पहनकर कही भी एंट्री ले सकती हूं, इन बच्चियों को क्यों रोका जा रहा है. अचानक से शैक्षणिक संस्थानों को भगवा रंग क्यों दिया जा रहा है. हिजाब तो हमारा हक है. हम अपनी जिंदगी दे सकते हैं, लेकिन हिजाब नहीं. वैसे इससे पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी सोशल मीडिया पर ये मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा था कि कुछ लोग हिजाब को भी लड़कियों के शिक्षा के बीच में ला रहे हैं, ऐसा होने से उनका भविष्य अंधकार में जा सकता है.
विवाद की जड़ में यह है
अब जानकारी के लिए बता दें कि ये सारा विवाद इस साल जनवरी में तब शुरू हुआ था जब उडुपी के एक सरकारी महाविद्यालय में छह छात्राओं ने हिजाब पहनकर कॉलेज में एंट्री ली थी. ये सब तब किया गया था जब कॉलेज प्रशासन ने इसकी मंजूरी नहीं दी थी. लेकिन फिर ये ट्रेंड चलता चला गया और दूसरे कॉलेजों में भी कई छात्राएं ऐसे ही हिजाब पहनकर आने लगीं. फिर उस प्रदर्शन का जवाब देने के कुछ छात्राओं ने भगवा स्कार्फ डालना शुरू कर दिया. यहीं से सारा विवाद बिगड़ना शुरू हुआ और उसमें राजनीतिक दस्तक हो गई. अभी के लिए ये मामला हाई कोर्ट के पास भी पहुंच चुका है. आठ जनवरी को इस मामले में सुनवाई होने जा रही है. उडुपी वाले केस में ही कोर्ट कोई बड़ा फैसला सुना सकता है. अभी के लिए तो हिजाब विवाद कांग्रेस बनाम बीजेपी की एक जंग बन गया है.