हिंद महासागर (Indian ocean) में चीन की बढ़ती गतिविधियों (China’s growing activities) के बीच भारतीय नौसेना (Indian Navy) की ताकत पहले से और मजबूत हो गई है। भारतीय नौसेना को मंगलवार को पांचवीं स्कॉर्पीन सबमरीन ‘वागीर’ (Scorpene Submarine ‘Vagir’) मिल गई है, जिसे अगले महीने सेवा में शामिल करने की योजना है। ‘वागीर’ एक कलवारी क्लास पनडुब्बी (Calvary class submarine) है जिसे प्रोजेक्ट-75 के तहत बनाया गया है। प्रोजेक्ट-75 में स्कॉर्पीन डिजाइन की छह पनडुब्बियों का स्वदेशी निर्माण शामिल है। पनडुब्बियों का निर्माण फ्रांस के नौसेना ग्रुप के सहयोग से मुंबई में मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (एमडीएल) में किया जा रहा है।
अधिकारियों ने बताया कि इस पनडुब्बी को सेवा में शामिल किये जाने से नौसेना की लड़ाकू क्षमता ऐसे वक्त में बढ़ने वाली है, जब चीन हिंद महासागर क्षेत्र में अपनी मौजूदगी बढ़ा रहा है। नौसेना प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, ‘वगीर ने एक फरवरी से समुद्री परीक्षण शुरू किया था और यह बहुत गर्व की बात है कि उसने सभी महत्वपूर्ण परीक्षण पूरे कर लिए हैं।’
समुद्री परीक्षण में बाकी पनडुब्बियों को छोड़ा पीछे
नौसेना प्रवक्ता कमांडर विवेक मधवाल ने कहा, 12 नवंबर, 2020 को लॉन्च वागीर ने एक फरवरी से समुद्री परीक्षण शुरू किया था। समुद्री परीक्षण के दौरान वागीर ने पहले की पनडुब्बियों की तुलना में कम से कम समय में हथियार और सेंसर आधारित समेत प्रमुख टेस्टिंग को पूरा कर लिया। कमांडर मधवाल ने कहा कि भारतीय यार्ड में इन पनडुब्बियों का निर्माण ‘आत्मनिर्भर भारत’ की दिशा में एक बड़ा कदम है। उन्होंने कहा कि पनडुब्बी को जल्द ही भारतीय नौसेना में शामिल कर लिया जाएगा।
क्या है खासियत?
इस पनडुब्बी की ताकत का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि यह बेहत आधुनिक तकनीकों से लैस है और इसमें आधुनिक नेविगेशन के साथ-साथ ट्रैकिंग सिस्टम भी लगाया गया है। इसके अलावा इसमें कई तरह के हथियारों को भी शामिल किया गया है। ऐसे में हिंद महासागर में चीन की बढ़ती दखलंदाजी का मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारतीय नौसेना के लिए यह काफी अहम साबित हो सकता है। यह कलावरी क्लास पनडुब्बी पानी की सतह पर 20 किमी प्रतिघंटे से रफ्तार से आगे बढ़ सकती है जबकि पानी के अंदर इसकी गति 37 किमी प्रति घंटा हो जाती है।
नौसेना को अर्णाला का तोहफा
भारतीय नौसेना को मंगलवार को एक और बड़ा तोहफा मिला। नौसेना के लिए एंटी सबमरीन जहाज ‘अर्णाला’ को समुद्र में उतार दिया गया। इसकी लॉन्चिंग चेन्नई में की गई। मराठा योद्धा छत्रपति शिवाजी महाराज द्वारा अरनाला द्वीप (वसई, महाराष्ट्र से लगभग 13 किमी उत्तर में स्थित) को दिए गए रणनीतिक समुद्री महत्व को दर्शाने के लिए पनडुब्बी का नाम अर्णाला रखा गया है।