Breaking News

सूर्य नारयण को क्यों माना जाता है सभी देवताओं में से श्रेष्ठ

हिंदू धर्म में बहुत से देवी-देवता हैं, इन सभी का हिंदू धर्म में अपना अलग-अलग महत्व है। इस सूची में एक नाम सूर्य देव का भी आता है। सबसे महत्वपूर्ण ग्रह के साथ-साथ इसे सभी देवताओं में से भी सबस श्रेष्ठ कहा जाता है, लेकिन ऐसा क्यों कहा जाता है इसके बारे में आज भी बहुत से ऐसे लोग हैं, जिन्हें नहीं पता होगा। तो आज हम आपको इसी के बारे में बताने जा रहे हैं-

ज्योतिष और पौराणिक शास्त्रों की मानें तो इसमें सूर्य को जगत की आत्मा कहा जाता है। इसमें ये तक कहा जाता है कि अगर आज भी पृथ्वी पर जीवन मुमकिन है तो वो केवल सूर्य के कारण ही है। हिंदू धर्म के प्रमुख वेदों में तक सूर्य को ही सारे जगत का कर्ता-धर्ता बताया गया है। बता दें सूर्य का शब्दार्थ है सर्व प्रेरक, सर्व प्रकाशक, सर्व प्रवर्तक होने से मतलब है सर्व कल्याणकारी।
ऋग्वेद में सभी देवताओं में सूर्य का सबसे महत्वपूर्ण स्थान है। इसके साथ ही यजुर्वेद ने “चक्षो सूर्यो जायत” कह कर सूर्य को भगवान का नेत्र बताया है। ब्रह्मवैर्वत पुराण में तो सूर्य को परमात्मा का स्वरूप बताया गया है। बता दें कि प्रसिद्ध गायत्री मंत्र सूर्य परक ही है। सूर्योपनिषद में सूर्य को ही संपूर्ण जगत की उतपत्ति का एक मात्र कारण निरूपित किया गया है और उन्हीं को संपूर्ण जगत की आत्मा और ब्रह्म बताया गया। इसके अनुसार संपूर्ण जगत की सृष्टि और उसका पालन सूर्य ही करते हैं। सूर्य ही संपूर्ण जगत की अंतरात्मा हैं। यहीं कारण हैं कि सूर्य को सबसे श्रेष्ठ देव माना गया है कि। प्राचीन काल में भारत में भगवान सूर्य के अनेक मंदिर भी स्थापित हैं।